कोयल
कोयल
पात पुराने जब झड़ जाते,
निकल नए पत्ते तब आते,
हरी-भरी डाली के ऊपर
बैठी कोयल गाती है -
कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ
कोयल तन की काली है ,
पर मन की मतवाली है ,
हरे -भरे पत्तों में छिपकर
मीठे बोल सुनाती है -
कूऊ- कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ
पात पुराने जब झड़ जाते,
निकल नए पत्ते तब आते,
हरी-भरी डाली के ऊपर
बैठी कोयल गाती है -
कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ
कोयल तन की काली है ,
पर मन की मतवाली है ,
हरे -भरे पत्तों में छिपकर
मीठे बोल सुनाती है -
कूऊ- कूऊ-कूऊ-कूऊ-कूऊ
इस फुनगी से उस फुनगी पर
तेजी से उड़ जाती फर-फर
नक़ल करो उसकी बोली की,
तो वह सुनकर अपनी बोली है
फिर-फिर से दुहराती है
कूऊ- कूऊ-कूऊ-कूऊ-
हरिवंश राय बच्चन जी की कविता आपको कोयल की याद दिलाएगी, इसी उम्मीद के साथ,
तुम्हारी नीलम आंटी
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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3 पाठकों का कहना है :
धन्यवाद नीलम जी , बच्चन जी की इतनी सुन्दर कविता के लिए | उनकी लेखनी तो अपने आप मे एक मिसाल है |
इसको आवाज भी दीजिए |
काली काली कू कू करती
जो है डाली डाली फिरती
कुछ अपनी ही धुन में ऐंठी
छुपी हरे पत्तों में बैठी
:)
नीलम जी कोयल की आवाज कानों में गूँजने लगी कविता पढकर..
कोयल की कुक बलि प्याली लगी आंटी जी...
आलोक सिंह "साहिल"
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