सदा खुश रहो
खुशी मनाओ दिन औ रात ।
जाड़ा, गरमी हो बरसात ॥
खुशी बने जीवन का भाग,
खुशी ही हो जीवन का राग,
खुशियों से मिलता अनुराग,
खुशियों से जागे सौभाग,
खुशी है अनमोल सौगात ।
खुशी लगे नवदिवस प्रभात ॥
दुश्मन हों कितने ही पास,
देते हों कितना ही त्रास,
करना चाहें भले विनाश,
फिर भी मुख पर रखो हास,
खुशियों की है अपनी बात ।
सूरज छिपता काली रात ॥
खुशियों से बढ़ता है प्यार,
रहे न तन में कोई विकार,
मन में खिलते पुष्प विचार,
जीवन महके बाग बहार,
खुशियों से मिटते आघात ।
खुशियां ने देखें कोई जात ॥
खुशियों से मिट जाएं रोग,
रहे न मन में कोई सोग,
खुशी मनाते हैं जो लोग,
काया हर पल रहे निरोग,
चाहे भूलो सारी बात ।
खुशी मनाओ दिन औ रात ॥
कवि कुलवंत सिंह
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8 पाठकों का कहना है :
bahut sunder bhaav hain bhagvaan aapko bhi isi tarah khush rakhe aur aap khushi bhari kavita likhte rahen
बहुत सुन्दर बाल कविता है।बधाई स्वीकारें।
वाह !
बहुत बहुत सुंदर बात,बच्चे बूढे ,सबके लिए अनुकरणीय और सदा ध्यान में रखने योग्य.! आभार.
कुलवंत जी,
आपने बहुत ही प्यारी कविता लिखी है - बच्चों और सभी बड़ों के भी मन खिल गए होंगे पढ़कर. मुझे तो पढ़कर खूब आनंद आया. बहुत बधाई.
शन्नो
कुलवंत जी,
खुशी मनाओ बच्चों के साथ, होगी खुशिओं की बरसात! आपने कह दी बच्चों के मन की बात, आपको बधाई और सुप्रभात!
देवेन्द्र सिंह चौहान
दुश्मन हों कितने ही पास,
देते हों कितना ही त्रास,
करना चाहें भले विनाश,
फिर भी मुख पर रखो हास,
achchi ,seekh deti kavita ,
kulwantji
सभी को पढ़नी चाहिए ये कविता .हम को भी सिखने की जरूरत है
सुंदर लिखा है
सादर
रचना
"खुशी" विटामिन एक है पर हैं लाखों लाभ
कुलवंत जी की काव्य में, कितने बढिया भाव
कितने बढिया भाव, खुशी से हो सब हासिल
मुख पर लेकर हास मिले है सबको मंजिल
दुश्मन को कर दूर, खुशीमय रहे रात दिन
लाखों अगणित लाभ, एक हैं खुशी विटामिन
लाखों अगणित लाभ, एक हैं खुशी विटामिन
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