वर्णमाला- व्यंजन भाग ३
वर्णमाला- व्यंजन भाग ३
प्यारे बच्चो पूरी उम्मीद है कि आपको पहले तीन पाठ स्वर ,क-वर्ग और च-वर्ग अच्छे से याद हो गए होंगे अब सीखते है आगे के दो पाठ यानी ट-वर्ग और त-वर्ग
पाठ.4
ट टमाटर ठ से ठेला
चलो देखने चलेंगे मेला

ड डमरू और ढ से ढोल
बोलो बच्चो मीठे बोल
ण् खाली पर पूरा अक्षर ( जैसे:- कण )
बच्चो इसको कहते ट-वर्ग
पाठ .5
त तरबूज और थ से थाली
तोता बैठा पेड़ की डाली

द दही और ध से धान
बच्चो इनको लो पहचान
न से नल का पानी हर घर
बच्चो इसको कहते त-वर्ग
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आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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6 पाठकों का कहना है :
इसमें भी अनुनासिक व्यंजन के परिभाषाओं में कमी दृष्टिगोचर हो रही है।
नमस्कार शैलेश जी ,
आपने सही कहा
की अनुनासिक व्यंजन में गेयता की
कमी है और वो मुझे भी खल रही है
मे प्रयास करुँगी इस कमी ओ दूर करने का
सीमा जी
आप के इस अक्षर ज्ञान को कई बार से पढ़ रही हूँ जानती है यहाँ डेलस में कुछ स्कूलों में हिन्दी पढ़ाई जाती है उस की किताब के लिए मुझसे लिखने को कहा गया था मैने लिखा भी गिनती और वर्ण माला के लिए भी पर अंतर इतना है की यहाँ के बच्चे हैं तो उनको अंग्रेजी (आंग्ल भाषा )के शब्दों के साथ समझाना होता है . इसी लिए आप जैसी बात नही बनती
सादर
रचना
रचना जी कितनी अच्छी बात है न कि विदेश मे भी हिन्दी भाषा पढाई जाती है ,
मै यहाँ दक्षिण भारत मे हूँ और यहाँ भी हमे हिन्दी इन्ग्लिश के माध्यम से ही पढानी पडती है |
कभी कभी दुख होता है कि हम अपने ही देश मे अपनी ही भाषा को विदेशी भाषा के माध्यम से
पढा रहे है लेकिन संतुष्टि भी होती है कि चलो इसी बहाने ही सही हिन्दी सीख तो रहे हैं |
धन्यवाद
माध्यम कोई भी रहे, लें हम हिन्दी सीख.
लय उच्चारण में कमी, तनिक न पाए दीख.
देर से आने इन सुन्दर बालगीतों से इतने दिन वंचित रहने का दुख है मुझे
पुन: बधाई
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