सरकस का खेल
प्यारे बच्चो ,
मैने पिछली बार आपसे कहा था कि मै आपको घुमाने ले जाऊँगी और उससे पहले वर्णमाला सिखाते हुए यह भी कहा था कि मै आपका टेस्ट भी लूँगी तो चलिए आज पहले आपको ले चलती हूँ सरकस दिखाने और फिर आपको देना होगा मेरे एक प्रश्न का उत्तर ,वो भी पूरी ईमानदारी से तो चलें सरकस देखने :-
सरकस का खेल
आओ बच्चो तुम्हे दिखाऊँ
इक सरकस का खेल
जिसे देखकर बढ जाता है
इक दूजे से मेल
झूल-झूल कर झूला झूले
भालू बड़ी शान से
गाड़ी बन्दर मामा चलाएँ
हाथी खेले कमान से
करतब करती नाच दिखाती
ऊँचे झूले पर चढ जाती
कूद के लडकियाँ खेल दिखाएँ
देख के सारे ताली बजाएँ
अब देखो वह जोकर आया
इक पहिए की साइकिल लाया
तरह्-तरह के मुँह बनाकर
उसने सबको खूब हँसाया
गेंद लिए फिर हाथी आया
भालू ने मोटर-साइकिल चलाया
अब आए पिंजरों मे शेर
खडे है उनको सारे घेर
जब शेरो के पिंजरे खोले
शेर तो दो पैरो पे डोले
लम्बी एक बनाकर रेल
खत्म हुआ सरकस का खेल
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तो अब देखिए
प्रश्न :-आपको सरकस देखकर कैसा लगा ?
अच्छा या बुरा और क्यों ?
नक्ल नहीं करना ,बस अपने विचार बताना आपके पास समय है - एक दिन । लेट एन्ट्री स्वीकार नही की जाएगी और न ही उसका परिणाम घोषित किया जाएगा । आप अपना जवाब लिखिए ,हम चलते है और कल फिर आएँगे ,आपके परिणाम-पत्रों के साथ ।बाय-बाय।
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3 पाठकों का कहना है :
सीमा जी,
बहुत बढ़िया। जब मैं १० वर्ष का था तो पहली बार सर्कस देखा था, बहुत मजा आया था। मजा इसलिए आया था क्योंकि जो कभी अपने इर्द-गिर्द नहीं देखा, उसे सर्कस में देख रहा था।
सीमा जी हमने सर्कस पहली बार अपनी बिटिया के साथ ही देखा था ,बहुत मजा आया था ,भारत में इसकी स्थिति बहुत ही सोचनीय है ,बिलुप्त होने की कगार पर है ,आज आपने यादें ताजा कर दी ,
शुक्रिया
एक बात और व्यंजन सिखाने का रोचक तरीका हमे बेहद पसंद आया ,उम्मीद करती हूँ
कि लोग इससे अपने बच्चों को भी लाभान्वित करेंगे |
एक बार फिर से आभार आपका
बहुत खूब सीमा जी,बचपन में पहुँचा दिया हमें जब हम मम्मी पापा जी के साथ सर्कस देखने जाते थे.मस्त..........
आलोक सिंह "साहिल"
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