चूहों के घर बिल्ली आई
चूहों के घर बिल्ली आई
नये साल के तोहफे लाई
चूहों की इक सभा बुलाई
आ के अपनी बात बताई
नये साल का नियम बनाया
आज से मैंने यह अपनाया
अब मैं तुमको नहीं खाऊँगी
तुम सब के संग मिल के रहूँगी
मेरा तुम से पक्का वादा
मेरे मन में नेक इरादा
तुम भी मौसी को अपना लो
मुझको अपने घर में जगह दो
सुन कर चूहे भी खुश हो गये
सब को अच्छे तोहफे मिल गये
मौसी को सत्कार दे रहे
और वापिस उपहार दे रहे
बिल्ली सोच रही मन ही मन
पाल रहे हैं घर में दुश्मन
पर चूहों के बच्चे छोटे
नन्हे थे, नहीं अकल के मोटे
समझ गये बिल्ली की चाल
आया उनको एक ख्याल
बोले मौसी यहाँ पे आओ
हमें अपनी गोदी में सुलाओ
खुश हो गई बिल्ली सुन कर
आई थी वह यही सोच कर
कि वह सबके पास में जाए
चोरी से बच्चों को खाए
सारे बिल्ली के पास आ गये
और कुछ उसकी पीठ पे चढ़ गये
पकड़ा बिल्ली ने इक बच्चा
खाने लगी थी उसको कच्चा
लगे वे बिल्ली के बाल नोचने
और दाँतों से उसे काटने
देख के बिल्ली भी घबराई
सोचा वहाँ से ले विदाई
सारे तोहफे छोड़ के भागी
चूहों को भी समझ आ गई
दुश्मन पे न करो एतबार
धोखे से वह करता वार
छोड़े बिल्ली बुरे ख्याल
अभी नहीं आया वो साल
आप सबको नव-वर्ष की हार्दिक बधाई एवं शुभ-कामनाएं।
नव-वर्ष सबके लिए मंगलमय हो....सीमा सचदेव

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4 पाठकों का कहना है :
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
पंक्तियों में गति-यति तथा पदभार का पूरी तरह ध्यान न रखने से कविता में रवानी कम है.
गागर में सागर की तरह कम शब्दों में अधिक सारगर्भित कहने की कला में दक्ष हैं आप. बधाई.
सारे तोहफे छोड़ के भागी
चूहों को भी समझ आ गई
दुश्मन पे न करो एतबार
धोखे से वह करता वार
कहानी की शिक्षा बहुत अच्छी लगी, वैसे तो दुश्मन भी दोस्त बन जाते है पर कुछ की फितरत नही बदली जा सकती
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