दीदी की पाती सुनो कहानी
यह सब्जी तो बहुत अच्छी नही है मैं खाना नही खाऊँगी ...अलका ने अपनी खाने की प्लेट सरकाते हुए माँ से कहा
"ठीक है मत खाओ "मैं शाम को इसको दूसरे तरीके से बनाऊँगी माँ ने मुस्कराते हुए कहा
दोपहर को दोनों माँ बेटी अपने बगीचे में गई ..माँ ने आलू खोद खोद कर जमीन से निकालने शुरू किए ..अलका उसको टोकरी में रखती गई यही सब करते करते शाम हो गई शाम को दोनों घर वापस आए.. अलका दिन भर अपनी माँ के साथ आलू रखने के काम में मदद करती रही थी सो वह बहुत थक गई थी उसको भूख भी बहुत जोर से लगी थी .माँ ने जैसे ही खाना दिया वह खाने पर टूट पड़ी और माँ से कहा कि सब्जी बहुत अच्छी बनी है
सुन के माँ हंस पड़ी और बोली की सब्जी तो वही सुबह वाली है पर तुम्हे इस लिए अच्छी लग रही है क्यूंकि अब तुम ने बहुत मेहनत की हुई है और तुम बहुत थकी हुई हो जब मेहनत करने के बाद खाना खाया जाता है तो वह बहुत अच्छा लगता है सब्जी तो सब अच्छी होती है सही कहा गया है कि हर चीज की कीमत सही वक्त पर होती है !!
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7 पाठकों का कहना है :
choti si pyaari si kahaani ke maadhayam se aapne bahut achchi shiksha di ,MEHNAT KA FAL MEETHA HOTA HAI , is baar aapki paati me kuch nayaa nahi dikha,jaisa aksar hota hai.....seema
दीदी की पाती अच्छी लगती है.. जन्म दिन की ढ़ेरों बधाइयां...
ओये बाल-श्रम
बच्चों से बिनवाये आलू
देखो मम्मा कितनी...
ह्म्म्म बढिया कहानी जी बहुत बढिया..
बहुत ही प्यारी सी कहानी और उतना ही अच्छा संदेश,बहुत अच्छे
बधाई
आलोक सिंह "साहिल"
रोचक और सीख देती कहानी. बधाई.
दीदी की पाती से बहुत अच्छी सीख मिली , कम शब्दों में बहुत बड़ी बात लिख दी है आपने , जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई
^^पूजा अनिल
अच्छी सीख
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