फल
सेब संतरा और मौसंबी
खाए हमने खूब
अब मौसम है आमों का
खरबूजे और तरबूज
रस रसीली लीची भी
आएगी भरपूर
छुट्टी में अब होगी मस्ती
पढ़ना कोसों दूर
लुकाट चीकू रसभरी
आते नही पसंद
लेकिन पापा घुरे जब
चुपके से निगले हम
अगूर चेरी स्ट्राबेरी
मुह से टपके लार
इनको जब भी खाए हम
बनते सबके यार
कवि कुलवत सिह
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7 पाठकों का कहना है :
अरे इतने सारे फ़ल. मुंह में पानी आ गया.
बहुत मीठे फल वाली कविता है कवि जी :)
सुंदर कविता
आलोक सिंह "साहिल"
बढ़िया
Itane saare fal ikkathe dekh kar bahut majaa aayaa
फलों की दुनिया की सैर करते हुये ,हमारे मुंह में पानी भर आया , बहुत खूब कवि कुलवंत जी
^^पूजा अनिल
आप सभी शुभेच्छुओं का हार्दिक धन्यवाद...
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