आओ सीखें अपनी भाषा...
प्यारे बच्चो कैसे हो ?
अब तो स्कूल खुल गये हैं ना, तो खूब जमकर पढ़ाई हो रही है ना...वेरी गुड
चलिये दोस्ती करते है हिन्दी वर्ण-माला के फूलों से, कहने का मतलव हिन्दी के प्यारे प्यारे अक्षरों से..
'क' से कबूतर गुटर-गुटर गूँ
सबसे पहले मैं जागा हूँ
जागो भैया, जागो बहना
स्कूल भी तो जाना है ना
'ख' से खरगोश कितना भोला
देखो लगता ऊन का गोला
नर्म मुलायम इसके बाल
भरे कबड्डी करे कमाल
'ग' से गमला फूलो वाला
सुबह-सुबह जब पानी डाला
फूलो पर छा गयी मुस्कान
इनमें भी होती है जान
'घ' से घड़ी कहती है टिक-टिक
बड़े बनो सब पढ़-पढ़ लिख-लिख
करो समय से सारा काम
मेरी तरह चलो अविराम
'ङ' खाली पर थोड़ा रुककर
सोचो आगे कौन से अक्षर
- तो कैसी रही इतने प्यारे प्यारे अक्षरों से दोस्ती....
और भी बहुत सारे अक्षर हैं
फिर मिलेंगे कुछ अक्षरों से अगली बार
तब तक के लिये सबको ढेर सारा प्यार
-राघव
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6 पाठकों का कहना है :
aapke foolo ke guldaste me se baaki foolo ki khushaboo soonghane ke liye betaab hai ,jaldi vaapis aayega:)...seema
बहुत बहुत सुंदर राघव जी .बच्चो को क्या बड़े भूले हुए को भी यह पाठ आसानी से याद हो जायेगा .अगली कक्षा का इंतज़ार है
:)
अति सुंदर.. हार्दिक बधाई...
bahut sundar prayaas..jaari rakhen
प्यारे प्यारे अक्षरों से दोस्ती.... अति सुंदर
राघव जी बहुत बढ़िया। इसे ज़ारी रखिए। यह सबसे बढ़िया एक्सीपेरीमेंट साबित होगा।
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