हिम्मत
विपदाएं हों कितनी ही
हिम्मत कभी न हारो तुम,
जीवन से गर हार गए हो
हार को बदलो जीत में तुम ।
खो गया विश्वास तुम्हारा
दिखता तुमको बस अंधियारा,
पास नही है कोई सहारा
फिर भी सच पर चलना यारा ।
आरोप लगें तुम पर झूठे
नफरत के बीज भी रोपें,
चलना अडिग तुम अपनी राह
भले पीठ पर छुरे घोपें ।
करे न कोई तुम पर विश्वास
छोड़ न देना अपनी आस,
जीत दिलाएगा तुमको
इक दिन तुम्हारा सतत प्रयास ।
कवि कुलवंत सिंह
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6 पाठकों का कहना है :
Kavi ji aapki kavita achchi lagi ,bachcho ke liye prernadaayak .
जीवन से गर हार गए हो
jeevan se haar matlab death . mujhe lagta hai yahaa par JEEVAN ME hona chaahiye .
छोड़ न देना अपनी आस ki jagah agar FIR BHI CHOD N DENA AAS hota to jyaada achcha lagta .
bachcho ke liye hi nahi bado ke liye bhi prernadaayak rachana, achchi hai.....seema
मूल्यों की शिक्षा देता प्रेरक पद्य...
साधूवाद
Himmat jagatee is kavita ke liye badhaayi swikaaren.
कुलवंत जी,
बच्चों को साहसी बनने और सतत प्रयास करते रहने की प्रेरणा देती खूबसूरत रचना.
बधाई
सीख देती एक अच्छी कविता कुलवंत जी
बाल कविता लेखन में आपको कलम निखरती जा रही है.
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