Friday, April 25, 2008

हिम्मत

विपदाएं हों कितनी ही
हिम्मत कभी न हारो तुम,
जीवन से गर हार गए हो
हार को बदलो जीत में तुम ।

खो गया विश्वास तुम्हारा
दिखता तुमको बस अंधियारा,
पास नही है कोई सहारा
फिर भी सच पर चलना यारा ।

आरोप लगें तुम पर झूठे
नफरत के बीज भी रोपें,
चलना अडिग तुम अपनी राह
भले पीठ पर छुरे घोपें ।

करे न कोई तुम पर विश्वास
छोड़ न देना अपनी आस,
जीत दिलाएगा तुमको
इक दिन तुम्हारा सतत प्रयास ।


कवि कुलवंत सिंह


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6 पाठकों का कहना है :

सीमा सचदेव का कहना है कि -

Kavi ji aapki kavita achchi lagi ,bachcho ke liye prernadaayak .

जीवन से गर हार गए हो
jeevan se haar matlab death . mujhe lagta hai yahaa par JEEVAN ME hona chaahiye .
छोड़ न देना अपनी आस ki jagah agar FIR BHI CHOD N DENA AAS hota to jyaada achcha lagta .

bachcho ke liye hi nahi bado ke liye bhi prernadaayak rachana, achchi hai.....seema

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

मूल्यों की शिक्षा देता प्रेरक पद्य...

साधूवाद

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

Himmat jagatee is kavita ke liye badhaayi swikaaren.

Sushma Garg का कहना है कि -

कुलवंत जी,
बच्चों को साहसी बनने और सतत प्रयास करते रहने की प्रेरणा देती खूबसूरत रचना.
बधाई

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सीख देती एक अच्छी कविता कुलवंत जी

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बाल कविता लेखन में आपको कलम निखरती जा रही है.

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