रामू-शामू
रामू-शामू दो थे बंदर
रहते थे इक घर के अंदर
मालिक उनका था मदारी
उन्हें नचाता बारी-बारी
सारा दिन वे नाचते रहते
फिर भी खाली पेट थे रहते
नहीं मिलता था पूरा खाना
देता मदारी थोड़ा सा दाना
तंग थे दोनों ही मलिक से
भागना चाहते थे वे वहाँ से
इक दिन उनको मिल गया मौका
और मलिक को दे दिया धोखा
इक दिन जब वो सो ही रहा था
सपनों में बस खो ही गया था
रामू-शामू को वह भूला
छोड़ दिया था उनको खुला
भागे दोनों मौका पाकर
छिपे वो इक जंगल में जाकर
पर दोनों ही बहुत थे भूखे
वहाँ पे थे बस पत्ते सूखे
निकल पड़े वो खाना लाने
कुछ फल, रोटी या मखाने
मिली थी उनको एक ही रोटी
हो गई दोनों की नियत खोटी
रामू बोला मैं खाऊँगा
शामू बोला मैं खाऊँगा
तू-तू, मैं-मैं करते-करते
बिल्ली ने उन्हें देखा झगड़ते
चुपके से वह बिल्ली आई
आँख बचा के रोटी उठाई
रोटी उसने मज़े से खाई
और वहाँ से ली विदाई
देख रहा था सब कुछ तोता
जो था इक टहनी पर बैठा
तोते ने दोनों को बुलाया
और बिल्ली का किस्सा सुनाया
फिर दोनों को सोझी आई
जब रोटी वहाँ से गायब पाई
इक दूजे को दोषी कहने
लगे वो फिर आपस में झगड़ने
बस करो अब तोता बोला
और उसने अपना मुँह खोला
जो तुम दोनों प्यार से रहते
रोटी आधी-आधी करते
आधा-आधा पेट तो भरते
यूँ न तुम भूखे ही रहते
छोड़ो अब यह लड़ना-झगड़ना
सीखो दोनों प्यार से रहना
जो भी मिले बाँट कर खाना
दोषी किसी को नही बनाना
अब तो उनकी समझ में आई
झगड़े में रोटी भी गँवाई
अब न लड़ेंगे कभी भी दोनों
रहेंगे साथ-साथ में दोनों
---सीमा सचदेव
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8 पाठकों का कहना है :
बन्दर, बिल्ली, रोटी, तोता
झगड़े में लो क्या क्या होता
मोके पाकर स्यानी बिल्ली
रोटी लेकर सूँ.. निकल ली
भूखे बन्दर रहे परेशान
झगडे से होता नुकसान
स्वीट स्टोरी विद अ मौरल
कीप अवे आल थ क्वेरल
सीमा जी , आपकी बाल रचनाएं पढ़ना भी बहुत भाता है , पुरानी कहानी पर आधारित है, परन्तु बहुत ही रोचक अंदाज में प्रस्तुत किया है आपने बन्दर के झगड़ने और उसके समझने की कथा को , बधाई स्वीकारें
^^पूजा अनिल
बहुत अच्छे सचदेव जी,
आलोक सिंह "साहिल"
सीमा जी,
आपका अंदाज़ बहुत प्यारा है, बच्चों की सीख देने का। इसी तरह से कलम चलाती रहें।
बहुत ही सुंदर रचना है यह .पढ़ के बहुत अच्छी लगी
सीमा जी,
पुरानी कहानी के किरदारों की अदला बदली और नये रूप में साथ-साथ रहने और झगड़ा ना करने की प्रेरणा देती आपकी कविता बहुत अच्छी लगी.
बधाई.
आपकी सीमाएं असीमित हैं..
सीमा जी
बहुत खूब। आप बाल साहित्य लिखने में पारंगत हैं। बधाई ।
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