अथ श्री पहेलियाँ: नम:)
१)ना कोई चखे ,न कोई खाय,
फिर भी वो मीठी कहलाय
२)एक गुरु ऐसा कहलाय ,
पाठ न बोले ,आप पढाय
३) अंग्रेजी का शब्द हूँ मै ,
हिंदी में भी वही है नाम
जाडे में मै बदन चढ़ ,
गर्मी में पहने बहसी राम (राघव जी )
४)शीश कटे तो कपडा नापूं ,
पैर कटे तो ,कौआ कहलाऊँ ,
पेट कटे तो बटन लगाऊं
लिखने पढने के काम मै आऊँ
५)छड़ी में छिपी है मीठी चीज ,
उस बिन फीकी होली -तीज
आप सभी लोगों से अनुरोध है कि अपनी उम्र और बुधिमत्ता के हिसाब से पहेली के उत्तर दे जो सबसे पहले सबसे सरल उत्तर देने कि कोशिश करेगा उसे मूर्ख नहीं महामूर्ख घोषित किया जायेगा ,और सभी सही उत्तर देने वाले को ,आचार्य जी अपनी उपाधि से सुसोभित करेंगे तो फिर देर कैसी बोलिए (अथ श्री पहेलियाँ: नम:)
नीलम मिश्रा
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14 पाठकों का कहना है :
पुरानी सजा को ध्यान में रखते हुए :- दो दो उत्तर इस प्रकार है ( मेरी मन्द बुद्धी से )
1.
छुरी भी मीठी चीज़ और बोली मीठी होय
कोई भी खाता नहीं और चखें नही कोय
यूँ तो भई इस पहेली के उत्तर है कुछ और..
लेट मी नों एक्सेप्ट टू, इफ यू वन्ना मोर..
2.
ठोकर देती सीख है, चलत चलत हर राह
बिना पढे गुर ग्यान है, भले न हो कोई चाह
भले न हो कोई चाह, तजुर्बा चीज दूसरी
जिससे मिलती सीख, समय के साथ हर घडी
3.
अंग्रेजी का शब्द जो कहता डंका चोट
गर्मी में पहने मुझे मैं वकील का कोट
मैं वकील का कोट, उडा दूँ होश सभी के
इसका दूजा उत्तर मुझकों अभी ना दीखे
4.
कागज कपडा नापता तजकर अपना शीश
पैर काट बिख्यात है काग भुसुंडी ईश
कागभुसुंडी ईश, काटकर अपना पेट
कैसे बटन लगाये अगर होये मोटा सेठ
5.
गन्ने अन्दर छुप रही है चीनी की बात
मीठे मीठे तीज पर ये पकवान बनात
ये पकवान बनात भले पूआ, रसगुल्ला
सबको लागे मीठा चाहे हो हिन्दू, मुल्ला
उम्र और बुद्धिमता को भूलते हुए मैं भी भाग लेना चाहती हूँ. आशा है कि आचार्य जी को मेरे उत्तर सही लगेंगे:
१.बोली
२.पुस्तक
३.कोट
४.कागज़
५.गन्ना
आचार्य जी, मैं सही हूँ न. जल्दी से रिजल्ट बताइये.
राघवजी,
बहुत अच्छे ! आपका अंदाज़ पसंद आया.
बाल उद्यान पर रचना और टिप्पणियाँ पढ़ कर लगता है मानो रिश्तेदार चौपाल में बैठ बात कर रहे हो
विनय के जोशी
उम्र और बुद्धिमता के हिसाब से,,,,,,
(१),,,हा,,,हा,,,हा,,,हां,,,,,,,
(२),,,ही,,ही,,,,ही,,,,ही,,,,
(३) और (४) ,,,मालूम नहीं...
(५) हा,,हा,,हा,,हा,,,,,,,ही,,ही,,,,ही,,,ही,,,,,
मनु जी,
लगता है कि अब आचार्य जी की तरफ से आपकी सजा तो पक्की हो गयी.
बोली,पुस्तक, कोट, कागज़ और ईख. हालाँकि मैंने उत्तर देख लिए हैं पर मेरे विचार से यह ठीक हैं!
क्या बात है मनु जी लगता है इसबार आपने हैडलाइन में अपना स्थान बना लिया,,अभी से आपको बधाई!! मेरे उत्तर भी बही आ रहे है जो राघव जी के है ,हाँ २-२- उत्तर देने की विशेष छूट का लाभ अगली बार लेलेगें ,,,,
१ पता नही
२ कोई भी गुरू हो सकता है, जो बच्चो से कहे खुद पढ लो मै तुम्हे नही पढाउगा, मै तुमसे नाराज हूँ इतने दिन से पढा रहा हूँ फिर भी वो ही ढाक(एक प्रकार का पौधा जिसने सिर्फ तीन ही पत्ते लगते है ऐसा मैने सुना है) के तीन पात, तुम बहुत ही नालायक बच्चे हो :-)
३ राधव जी से मदद लेनी पडेगी
४ कागज नकल करनी पडी
५ गुंजिया शायद
सुमित भारद्वाज
१ पता नही
२ कोई भी गुरू हो सकता है, जो बच्चो से कहे खुद पढ लो मै तुम्हे नही पढाउगा, मै तुमसे नाराज हूँ इतने दिन से पढा रहा हूँ फिर भी वो ही ढाक(एक प्रकार का पौधा जिसने सिर्फ तीन ही पत्ते लगते है ऐसा मैने सुना है) के तीन पात, तुम बहुत ही नालायक बच्चे हो :-)
३ राधव जी से मदद लेनी पडेगी
४ कागज नकल करनी पडी
५ गुंजिया शायद
सुमित भारद्वाज
1. पहेली है वाणी 3 कोट 4 कागज
इतनी ही बालकपने की बुद्वि है जिसकी पूरी है वह सारे ही उत्तर सही देगा।
देखिये आचार्य जी, आपकी क्लास में कितने नटखट और नक़ल करके चिढाने वाले बच्चे आ गए हैं. आप कहाँ हैं? संभालिये इनको.
मीठी चितवन नार की, सविनय मीठे बोल.
सरस छंद, नाते मधुर, नीलम! दें रस घोल.
ठोकर अनुभव पुस्तकें, समय पद्गाये पाठ.
जो समझे हो मनु अजित, शन्नो से कर ठाठ.
शर्त, पैंट ने बेल्ट के, संग पहना है कोट.
भाषा-मौसम कोइ हो, पॉकेट मांगे नोट.
कागज़, का-गज, काग-ज, बना न बिगडे काज.
वर-जय-तज सीता चले, राघव-लाघव आज.
गन्ना गुड शक्कर कलम, गुझिया बिन त्यौहार.
फीके ही रहते 'सलिल', करिए नीति विचार.
नीलम जी ने दिया था, दो उत्तर का दंड.
सीमा टूटी एक से, चार हुए उद्दंड.
आचार्य जी,
आपने मेरे प्रार्थना करते ही क्लास की जल्दी से ख़बर ली और वह भी इतने सुंदर काव्यात्मक तरीके से, इसके लिए धन्यबाद. सारे लोग अब चुप हो गए हैं डर के मारे.
नीलम जी, पिछली बार जवाब ना देने पर जो सजा हमे सुनाई गई वो स्वीकार है लेकिन २-२ उतर देना मतलब दिमाग में कुश्ती करना है........फिर भी कोशिश करते है
१ मीठी छुरी, मीठी बोली
२ अनुभव, धोखा
३ कोट, (.....)
४ कागज़, (.....)
५ ईख,(.....)
माफ़ी चाहते है नीलम जी अपनी सजा को पूरा न निभा पाए !
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