Monday, June 29, 2009

बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में)- 13

बारहवें भाग से आगे....

13. इतने में इक हाथी आया
आकर अपना सूंड हिलाया
अकेलेपन से थक गया हूँ
अब मैं सचमुच पक गया हूँ
लाकर दे दो मुझको हथिनी
होगी मेरी जीवन संगिनी
वो हथिनी मैं हाथी राजा
बजेगा फिर जंगल में बाजा
बदले में तुम कुछ भी बोलो
जो चाहिए जी भर मुँह खोलो
पीठ पे अपनी बिठाऊँगा
जंगल पूरा घुमाऊँगा ।
बंदर करने लगा विचार
क्या हो हाथी का उपचार
हथिनी यहाँ कहाँ से आई
कैसे इसको दूँ विदाई ?
तभी सुनी इक शेर दहाड़
हाथी पे ज्यों टूटा पहाड़
भागा वहां से हाथी राजा
याद नहीं अब उसको बाजा।

13. इतने में ही एक हाथी दुकान पर आ पहुँचा और बंदर से कहने लगा-
"बंदर भाई, मैं अकेलेपन से थक गया हूँ, जो तुम मुझको एक हथिनी दे दो तो मैं उस संग ब्याह रचाऊँगा, जंगल में बाजा बजवाऊँगा। वो मेरी रानी होगी और मैं उसका हाथी राजा। बदले में तुम्हें जो चाहिए मुझसे ले लो। चाहो तो तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर पूरे जंगल की सैर करवा दूंगा।
हाथी की बात सुन बंदर विचारने लगा कि अब इसको कैसे टरकाया जाए, भला दुकान पर हथिनी कहाँ से आई? इतने में एक शेर की दहाड़ सुनाई दी, हाथी पर तो जैसे पहाड़ टूट पड़ा और बैण्ड-बाजा भुला वहाँ से भागने लगा।

चौदहवाँ भाग


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3 पाठकों का कहना है :

रानी पात्रिक का कहना है कि -

अच्छा लग रहा है धारावाहिक।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

इतने में इक हाथी आया
आकर अपना सूंड हिलाया
अकेलेपन से थक गया हूँ
अब मैं सचमुच पक गया हूँ
लाकर दे दो मुझको हथिनी
होगी मेरी जीवन संगिनी
वो हथिनी मैं हाथी राजा
बजेगा फिर जंगल में बाजा
बदले में तुम कुछ भी बोलो
जो चाहिए जी भर मुँह खोलो
पीठ पे अपनी बिठाऊँगा
जंगल पूरा घुमाऊँगा ।
बंदर करने लगा विचार
क्या हो हाथी का उपचार
हथिनी यहाँ कहाँ से आई
कैसे इसको दूँ विदाई ?
तभी सुनी इक शेर दहाड़
हाथी पे ज्यों टूटा पहाड़
भागा वहां से हाथी राजा
याद नहीं अब उसको बाजा।


सीमा जी गद्द और पद्द शैली में लिखने के लिए आपको बधाई.

Manju Gupta का कहना है कि -

Jungle ke sare janvar se mulakat ho rahi hai.
suspence bana hua hai.
Badhayi.

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