नन्हा दीया

 जल रहा था
नन्हा दीया
रौशनी फैलाने को ,
दे रहा था प्रेरणा हम सभी को
अन्धेरे से लड़ जाने को
घर के इस छोटे आँगन में
चन्द खुशबू बिखराने को,
जल रहा था, नन्हा दीया
तभी उस बड़े घर में
बिजली की झालर जगमगा उठी
प्रकाश से उसके
गली तो मानो खिल उठी
गर्व से भरी वो
इतराने लगी
उसके नन्हे बल्ब
जुगनुओं से
जल बुझ जल बुझ करने लगे
जो देखता
प्रशंसा उसकी करता
उसकी रंगीनियों को
नैनों में अपने भरता
ख़ुद को समझ श्रेष्ठ
देखा उसने दिए को
हिकारत की नज़र से
तू कहाँ मै कहाँ
दंभ से कहने लगी
पर दीया मंद मंद मुस्कुरता हुआ
हवाओं से अठखेलियाँ करता रहा
झालर के तानो से
तनिक भी विचलित न हुआ
तभी गई बत्ती अचानक
बुझ गई सारी झालर
खो गई वो सुन्दरता
जिस पे इतर रही थी झालर
पर वो नन्हा दीया
अंधियारे को भागता रहा
उस गली के लोगों को
उम्मीद की किरण दिखलाता रहा
नन्हा दीया
रौशनी फैलाने को ,
दे रहा था प्रेरणा हम सभी को
अन्धेरे से लड़ जाने को
घर के इस छोटे आँगन में
चन्द खुशबू बिखराने को,
जल रहा था, नन्हा दीया
तभी उस बड़े घर में
बिजली की झालर जगमगा उठी
प्रकाश से उसके
गली तो मानो खिल उठी
गर्व से भरी वो
इतराने लगी
उसके नन्हे बल्ब
जुगनुओं से
जल बुझ जल बुझ करने लगे
जो देखता
प्रशंसा उसकी करता
उसकी रंगीनियों को
नैनों में अपने भरता
ख़ुद को समझ श्रेष्ठ
देखा उसने दिए को
हिकारत की नज़र से
तू कहाँ मै कहाँ
दंभ से कहने लगी
पर दीया मंद मंद मुस्कुरता हुआ
हवाओं से अठखेलियाँ करता रहा
झालर के तानो से
तनिक भी विचलित न हुआ
तभी गई बत्ती अचानक
बुझ गई सारी झालर
खो गई वो सुन्दरता
जिस पे इतर रही थी झालर
पर वो नन्हा दीया
अंधियारे को भागता रहा
उस गली के लोगों को
उम्मीद की किरण दिखलाता रहा
रचना श्रीवास्तव
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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7 पाठकों का कहना है :
रचना जी
बहुत ही प्यारी और प्रेरणा से भरी कविता प्रस्तुत की है। दीपावली की बहुत-बहुत बधाई।
achhi kavita.
ALOK SINGH "SAHIL"
परम्परा और आधुनिकता की टकराहट में परंपरा विजयी हुआ, ये खुशी की बात है, मगर आजकल उल्टी हवा ज्यादा बह रही है, दियों को जलाए रखना मुश्किल होने लगा है।
झालर के तानो से
तनिक भी विचलित न हुआ
तभी गई बत्ती अचानक
बुझ गई सारी झालर
खो गई वो सुन्दरता
जिस पे इतर रही थी झालर
पर वो नन्हा दीया
अंधियारे को भागता रहा
उस गली के लोगों को
उम्मीद की किरण दिखलाता रहा
sunder likha hai bahut sunder
girish
दीये का तेल खत्म नहीं हो रहा था क्या? अजर-अमर बाती थी क्या :)
उम्मीद की किरण
प्रकाश की किरण
अन्धेरे के पहाड़
से जीत गया रण.
बधाई दिया जलाने की ...
जल रहा था
नन्हा दीया
रौशनी फैलाने को ,
दे रहा था प्रेरणा हम सभी को
अन्धेरे से लड़ जाने को
घर के इस छोटे आँगन में
चन्द खुशबू बिखराने को,
जल रहा था, नन्हा दीया
बहुत ही सुंदर रचना है।
pls visit...
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