इस्मित
इस्मित की याद में नवी मुंबई लिटिल चैंप्स प्रतियोगिता का आयोजन हुआ । अतिथि के रूप में उपस्थिति के साथ एक कविता इस्मित की याद में कार्यक्रम में समर्पित की -
इस्मित
स्टार अमूल आवाज बनी
इस्मित की पहचान बनी ।
हवा में घुल गये उसके सुर
घर घर बस गये उसके सुर ।
मोह लिया मन उसने सबका
मधुर मृदुल था कण्ठ उसका ।
अदा निराली उसकी थी
सादगी कितनी महकी थी ।
जग में बसा हुआ है भारत
देश देश में रहता भारत ।
बन आवाज सुरीली पहुंचा
देश देश में इस्मित पहुंचा ।
जग विस्मित था सुन दुर्घटना
कैसी थी अनहोनी घटना ।
सबके दिल में उपजी पीर
सबके नयनों में था नीर ।
मरा नही वह अमर बना है
रब के घर संगीत बना है ।
ध्रुव जैसा वह चमक रहा है
तारा बन कर दमक रहा है ।
याद संजोकर उसकी दिल में
आये हैं 'लिटिल चैंप्स' कितने ।
नाम रोशन कर जाएंगे
आवाज देश की बन जायेंगे ।
कवि कुलवंत सिंह
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7 पाठकों का कहना है :
मरा नही वह अमर बना है
रब के घर संगीत बना है ।
ध्रुव जैसा वह चमक रहा है
तारा बन कर दमक रहा है ।
सही कहा आपने अच्छी रचना है यह
kavi kulwant ji ne ismit ki yaad mejo likha wo bahut sach likha vakai wo har dil me basne baala ek sadgi se bhara byaktitv ka ladka tha uske saath bahut dukhad durghatna hui,use meri bhi shradhanjli,.
कवि कुलवंत जी ने इस्मित की याद में बहुत अच्छी रचना की!वाकई इस्मित हिंदुस्तान की शान बन गया था,वो हर हिन्दुस्तानी के दिल में बसता था,उसकी सादगी, उसकी आवाज़ कोई नही भूल सकता,उसे मेरी भी श्रध्न्जली!
कवि कुलवंत जी की कविता रचना में भावुकता का दर्द कूट कूट भरा हुआ है
किसी ने सच कहा है
जहाँ ना पहुँचें रवि
वहां पहुँचे कवि
कवि जी से प्रश्न् यह है की
सूरज किसके विरह में जलता है
चाँद किसके डर से छुप जाता है
प्रसन्न होने पर दर्शन देता फिर भी अकेला दिखाई देता है
थोड़ी और मेहनत करते और भावों की गहराई में उतरने की कोशिश करते।
kulwant ji,kavita theek thak rahi,parantu jahan lakshy karna tha,wahan saflta purvak chali gai.isliye sundar prastuti.
ALOK SINGH "SAHIL"
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