Monday, October 6, 2008

सप्तमं कालरात्रि.


मेरे देश की आशाओं!

कल मैने आपको देवी के ६ रूपों की कथा सुनाई थी। आज सप्तमी है। आज के दिन हम कालरात्री रूप में माँ की पूजा करते हैं। माँ कालरात्री के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह होता है। बाल बिखरे हुए और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला होती है। इनके तीन नेत्र हैं । इनकी श्वास -प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती हैं। बच्चों डर तो नहीं रहे ? माँ कालरात्री का रूप भयानक अवश्य है किन्तु दुष्टों के लिए। भक्तों को तो ये शुभ फल देने वाली हैं। इसीलिए इनका एक नाम शुभंकरी भी है।

सप्तमी के दिन साधक का मन सहस्त्रार चक्र में रहता है। उसके लिए सभी सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। माँ कालरात्रि दानव, दैत्य, राक्षस, भूत-प्रेत आदि का नाश करने वाली हैं। इनका उपासक भय मुक्त हो जाता है।

आओ हम सब मिलकर माँ से प्रार्थना करें कि हमारे देश से आतंक रूपी राक्षस को सदा के लिए दूर कर दे तथा देश के लोगों का भय सदा के लिए समाप्त कर दे। हम सभी में प्रेम भाव जगा दे और घृणा अथवा हिंसा को दूर भगा दे। जय माँ काल रात्री। इति।


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2 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

जय काली, जय जय माँ काली
बाधाओं को हरने वाली...
कालरात्री, विघ्न विनाशक
हाथ जोड हम खडे उपासक
हमको चिंता मुक्त करो माँ
सारे संकट आप हरो माँ
-राघव

शोभा जी बहुत बहुत आभार
आपने माँ के दर्श कराये..
माँ सभी पर अपनी कृपा बरसाये..

Kavi Kulwant का कहना है कि -

jay kaali jay kaalika
jay chandi jay chandika..
jay maa vardaayini...
daitya asur sanhaarini...
shobha ji..haardik badhayee..

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