होली-कथा काव्य - श्री कृष्ण द्वारा पूतना वध
नमस्कार प्यारे बच्चो ,
आजकल आप सब तरफ रंगों की बौछार देख रहे होंगे न |
पिचकारी और रंगों से बाजारों की शोभा देखते की बनती है |
आप भी होली की मस्ती में झूमने को बेताब हैं न , खूब तैयारी
कर रहे होंगे |हमारी आप सबको होली की ढेरों शुभ-कामनाएं | पर
एक बात आपको याद है न पिछले साल होली पर मैने आपको एक
गुडिया की कहानी सुनाई थी , वो भूल गए हों तो एक बार फिर से अवश्य पढना |
क्या आपको पता है होली का त्योहार क्यों मनाया जाता है |
इसके साथ भी बहुत सी कथाएं जुडी हैं |कुछ बातें मै आपको बताऊंगी |
तो यह है होली के साथ जुडी एक कथा- श्री कृष्ण जी द्वारा पूतना का वध
होली-कथा काव्य - श्री कृष्ण द्वारा पूतना वध
रंग-रंगीली आई होली
आओ बन जाएं हमजोली
होली की बात बताऊं
लीला कृष्ण की ए सुनाऊं
नन्द यसुदा के घर गोपाल
समझ ली कंस ने इक दिन चाल
मारेगा उसको हर हाल
देवकी का न रहेगा लाल
न वो इस धरती पे रहेगा
न वो उसका वध करेगा
पूतना दानवी को बुलाया
और कान्हा का किस्सा सुनाया
किसी तरह से उसको मारो
जाओ अब गोकुल मे पधारो
सुन्दर रूप पूतना ने बनाया
जाकर जसुमति को भरमाया
दूध मे उसको जहर पिलाए
सोच के कान्हा लिया उठाए
ज्यों ही कान्हा को उठाया
नभ मे उसे कान्हा ने उडाया
पटक के यूँ पूतना को मारा
भयभीत था गोकुल सारा
पर कान्हा पूतना के ऊपर
खेल रहा चढकर छाती पर
गई पूतना राक्षसी मारी
सबने कृष्ण की नज़र उतारी
कोई समझ पाया न बात
हैं कान्हा त्रिलोकी नाथ
मिलकर फिर पूतना को जलाया
बुरे भाव को मार मुकाया
पाई राक्षसी पर जीत
सत्य ही है सबका मीत
तब से ही त्योहार मनाएं
असत्य रूप पूतना जलाएं
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2 पाठकों का कहना है :
बाल कृष्ण की यह कथा, देती है सन्देश.
अत्याचारी से लडो, रख उत्साह अशेष.
आगे बढ़ कर विपद पर, जो पाता है जीत.
जग उसको भगवन कह, गाता उसके गीत.
सीमा जी ने दिया है बच्चों को उपहार.
बाल 'सलिल' भी मानता, है शत-शत आभार.
कविता पढकर अच्छा लगा
होली के साथ मुझे सिर्फ प्रहलाद की कथा पता थी, इस कविता के लिए आभार
सलिल जी, आपकी टिप्पणी भी बहुत अच्छी लगी
सुमित भारद्वाज
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