राजा की वज़ीर-2
प्रथम भाग से आगे
घूमते-घूमते वह एक गांव में पहुंचा। उसे बहुत प्यास लग रही थी। वह एक कुंए पर गया। कुंए पर गांव की औरतें पानी भर रही थी। राजा उनके पास गया और पानी माँगने लगा। एक अजनबी को प्यासा देखकर एक औरत को उस पर दया आ गई और वह उसे पानी पिलाने के लिए कुंए में डोल से पानी निकालने लगी। जब उसने डोल निकाला तो देखा कि डोल पूरा भरा हुआ था। उस औरत नें डोल का आधा पानी वापिस कुंए में डाल दिया और आधा डोल अजनबी को पीने के लिए दे दिया। राजा यह देखकर बहुत हैरान हुआ। पर उसे बहुत प्यास लग रही थी, इसलिए उसने बिना कुछ कहे पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई और फिर औरत से बोले- "बहन तुमने मुझ प्यासे को पानी पिला कर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। परन्तु मुझे समझ नहीं आया कि तुमने डोल का आधा पानी वापिस कुंए में डालकर मुझे आधा डोल ही क्यों दिया? जबकि पानी निकालने में तो तुम मेहनत कर चुकी थी।"
"भाई तुम्हारी प्यास तो आधे डोल से ही बुझनी थी, फ़िर आधा डोल पानी का व्यर्थ क्यों गंवाया जाए। किसी और के पीने के काम आ जाएगा।"
"लेकिन आधा डोल पानी से कुंए को क्या फ़र्क पड़ेगा। उसमें तो पानी का भण्डार है।"
"क्या आपने सुना नहीं बूंद-बूंद करके ही सागर बनता है। अगर हम ऐसे ही पानी को आधा-आधा डोल करके व्यर्थ करते रहे तो इस कुंए का पानी भी एक दिन खत्म हो जाएगा। फिर पानी तो हमें जिन्दगी देता है, अगर इस आधा डोल पानी से किसी और प्यासे की प्यास बुझ जाएगी तो उसमें बुराई क्या है।"
औरत बोलती गई और राजा उसकी बातें चुपचाप सुनता गया।
वह अपनी बात कहते हुए फिर से बोली- वैसे भी हम कोई राजा कर्णवीर तो हैं नहीं। अब देखिए न उसने अयोग्य व्यक्तियों को भी इतना माला-माल कर रखा है कि सब मेहनत और आवश्यकता से अधिक दौलत पाकर आरामप्रस्त हो गए हैं किसी को भी राज्य की चिंता नहीं है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा का पूरा खजाना खाली हो जाएगा और राज्य हाथ से छिनते देर न लगेगी।"
कहकर औरत नें अपना घड़ा उठाया और चली गई। राजा उसे जाते हुए देखता रहा। और फिर अपने घोड़े पर सवार होकर अपने राज-दरबार की तरफ चला
शेष आगे.....
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3 पाठकों का कहना है :
राजा को पानी पिलाने वाली होशियार औरत से सीख मिली कि वस्तु की जितनी आवश्यकता है ,उतना ही हमें प्रयोग करना चाहिए .
कहानी से यही लगता है कि शायद वही औरत राजा की वजीर होगी . उत्सुकता बनी हुयी है .अगले भाग का इन्तजार है ......
हाँ मुझे भी यही लगता है की वही राजा की वजीर होनी चाहिए....आगे देखते है क्या होता है??
कहानी का यह भाग भी उतना ही मज़ेदार था जितना की पिछला भाग. और अगले भाग के लिए उत्सुकता बनी हुई. है. इंतज़ार रहेगा.
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