रानी बिटिया सो जा
रानी बिटिया सो जा
रानी बिटिया सो जा
रात हुई है सो जा
सारे पक्षी सो गये
तू भी बिटिया सो जा .
पेड़ पौधे सो गये
पशु सारे सो गये
सूरज भी है सोया
तू भी बिटिया सो जा .
मीठी नींद आयेगी
मधुर स्वप्न लायेगी
परियां उड़ आएंगी
गोद में खिलाएंगी .
चांद तारे आ गये
सारे नभ में छा गये
टिम टिम कर के बोले
अब तो बिटिया सो जा .
सुबह सूरज आयेगा
सबको वह जगाएगा
रात हो गई ज्यादा
तू भी बिटिया सो जा .
कवि कुलवंत सिंह
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3 पाठकों का कहना है :
कुलवंत जी ,
आपकी कविता पढ़ते पढ़ते हमे नींद आ गयी ,खुद ही अपनी माँ बन गए हम तो ...............
और
क्या कहें
लोरी बहुत अच्छी नयापन लगा .बल्ले -बल्ले .
मुझे स्वरचित लोरी याद आ गयी -
माँ मुझे लोरी सूना दो ,
मधु पंखुरी के मधुवन
की .
नित्य लोरियां सूना के ,
सुलाती थी मुझे माँ .
अच्छी बाल-रचना...
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