Tuesday, June 10, 2008

दीदी की पाती --नन्हें आविष्कार है यह कमाल

नमस्ते ,शुभ प्रभात .सलाम .

कैसे हैं आप सब ..? खूब मजे से ....बिता रहे हैं न अपनी छुट्टियाँ .आज आपको और एक नई रोचक जानकारी की यात्रा पर ले चलती हूँ ..जब भी खोजों या अविष्कारों की बात होती है तो हमारे ध्यान में हवाई जहाज ,साइकिल कार और कई बड़ी बड़ी चीजों के नाम ध्यान में आते हैं ..पर जरा नज़र डाले अपने आस पास कितनी छोटी छोटी चीजे हैं न जैसे माचिस .आपके जूते के फीते .मम्मी या दीदी के बालों में लगने वाला हेयरपिन आदि आदि .अब यह छोटी छोटी चीजे भी तो आखिर किसी की खोज होंगी न तभी तो आज हम इन्हे इस्तेमाल कर पाते हैं ..आज मैं तुम्हे कुछ चीजों के बारे में बताती हूँ कि कैसे बनी यह ..
सबसे पहले हम बात करते हैं हेयर पिन की ..पहले पहले जब इसको बनाया गया तो यह एक दम सीधी और सपाट थी जिस से यह बालों पर लगाते ही फिसल जाती थी ..इसकी फिसलन रोकने के लिए सालोमन गोल्डबर्ग ने लहरदार घुमाव वाली हायर पिन बनायी और एक कम्पनी को यह विधि बहुत पसंद आई उसने उस से यह विधि ४० लाख में खरीद ली और उसके बाद बनानी शुरू हुई बालों पर न फिसलने वाली हेयरपिन ..अब तो बाज़ार कई नए नए तरह के हेयर पिन से भरा हुआ है ..
अब बात करते जूते के फीतों की ..सिर से सीधा पांव :) आपने देखा है कि जूते के फीतों पर आखिर में दोनों तरफ़ धातु की पतली पट्टी सी लगी होती है और जब कभी यह पट्टी निकला जाए तो जूते के फीतो को जूतों में डालना थोड़ा सा मुश्किल काम होता है .पर पहले फीतों में यह नही होती थी सिर्फ़ एक डोरी सी लगी होती थी इसको बनाने का विचार आया इंग्लैंड में एक जूते की फेक्टरी में काम करने वाले कर्मचारी को ..उसने उसको बनाया और जूते के फीते बंधना आसान हो गया

टायर कैसे बने जानते हैं ..१८८८ की एक शाम थी सुहानी सी... स्काटलैंड में एक शरारती सा बच्चा जिद पर अड़ गया और अपने पापा से जिद करने लगा कि उसको अपनी तीन पहियों वाली साईकिल के लिए ऐसे पहिये चाहिए जो ऊँचे नीचे सब जगह चल सके अब बच्चा जिद करे और पापा कोई जुगत न लगाए ऐसा कैसे हो सकता है उन्होंने सोचना शुरू किया और कई विधियाँ सोची और आख़िर में बन गया टायर उसके पापा का नाम था जान डनलप जिसके कारण आज सब कारें बसे बड़ी बड़ी मोटर और अन्य वाहन आराम से सड़क पर उबड़ खाबड़ रास्तों पर भी सरपट भागते हैं

आपको खेलते खेलते जब चोट लग जाती है तो मम्मी क्या लगाती है याद आया ? जी हाँ छोटी से चिपकने वाली पट्टी जिसको बैंड एड कहते हैं इसकी कहानी यह है कि जॉन्सन एंड जॉन्सन कम्पनी में एक काम करने वाले कर्मचारी कि पत्नी जब भी सब्जी काटने लगती अपना हाथ काट लेती और वह अपनी पत्नी को कभी पट्टी बंधाते कभी कुछ और उपाय मरहम लगाते लगाते करते करते थक जाते जब कारखाने के मालिक को यह परेशानी पता चली तो उन्होंने सोचा कि ऐसी पट्टी बनायी जाए जो चिपक भी जाए औ र्साथ ही दवा लग कर खून भी बहना बंद हो जाए और फ़िर इस पट्टी का अविष्कार हुआ जो आज तक इस्तेमाल होता है चोट लगने पर

ब्रेल लिपि के बारे में सुना है आपने यह एक ऐसी लिपि है जिस कि सहायता से न देखने वाले लोग भी उभरे हुए अक्षरों की मदद से पढ़ लिख सकते हैं इसका आविष्कार तब हुआ जब तीन साल का एक बच्चा लुई ब्रेल एक दुर्घटना में अँधा हो गया तब यह उभरे हुए अक्षर मोटी किताब में होते थे तब उसने सोचा कि यदि यह अक्सर एक छोटी सी जगह में आ जाए तो अंधे लोग उसको आसानी से पढ़ सकेंगे यही सोच कर उस १५ साल के बच्चे ने यह आविष्कार किया इसी के जरिये आज भी कई न देखने वाले भी आसानी से पढ़ लेते हैं इस आविष्कार का नाम ब्रेल रखा जिसके जरिये आज भी कई न देखने वाले भी आसानी से पढ़ लिख सकते हैं तो पढ़ा आपने किस तरह या नन्हें नन्हें अविष्कार भी कितने काम के हैं ..सोचिये आप भी कुछ ऐसा ..मैं फ़िर मिलूंगी आपसे नई पाती के साथ

अपना ध्यान रखे

आपकी दीदी

रंज


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

ह्म्म्म्म्म लो आ गयी एक और पाती
नयी नयी बात बताती
हेयर पिन,टायर, बैंड-एड और फीते
जिनके जरिये सब आराम की लाइफ जीते
कहते हैं ना 'आवश्यकता आविष्कार की जननी है"
इसलिये जरूरत पड़ने पर ही कोई चीज़ बनी है
परंतु जिसने सोचा और बनाया वो महान है
और इसी विशिष्ट ज्ञान का नाम विज्ञान है
तो जिन्होंने किये ये नये नये आविष्कार
उनको नमन बारम्बार बारम्बार बारम्बार
और हाँ भूल ही गया मैं तो !
जानकारी के लिये रंजू जी का बहुत बहुत आभार
-नमस्कार

Pooja Anil का कहना है कि -

रंजू जी ,

बातों ही बातों में आपने हमारा सामान्य ज्ञान बढ़ा दिया और छोटे छोटे अविष्कारों के बारे में जानकारी भी दे दी , आपका बहुत बहुत आभार .

^^पूजा अनिल

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत ही उपयोगी जानकारी। रंजना जी आप सच वाला समाज सेवा कर रही हैं।

Anonymous का कहना है कि -

alokjun88बढ़िया जानकारी रंजू जी
आलोक सिंह "साहिल"

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)