Tuesday, June 3, 2008

दीदी की पाती ..जापान एक अदभुत देश ..

एक बार मैंने एक पाती में आपको जापान के फूलों के विषय में बताया था..आज की पाती में जापान के बारे में कुछ और बताती हूँ ..मुझे यह देश और इसकी संस्कृति ,इसके मेहनतकश लोग हमेशा प्रभावित करते हैं ..जाने जाना तो कब होगा यहाँ पर इसके बारे में जितना जहाँ से पढ़ सकती हूँ वह पढ़ के ही वहाँ की सैर कर आती हूँ ..चलिए आज आपको भी ले ले चलती हूँ ..अभी तो गर्मी की छुट्टियां भी हैं ..तो चले ...:)

जापान बहुत अनोखा देश है ..यह आधुनिक होते हुए भी आज भी अपनी पुरानी परम्परा और संस्कृति को नही भूल पाया है .आज भी वहाँ के मकानों की सजावट बहुत ही विचित्र होती है..उनके घरों के अन्दर छतों पर लालटेन लटकती है जिन में कांच के स्थान पर कागज लगे रहे हैं यह बहुत ही सुंदर दिखायी देती है .इनके घरों के दरवाजे पर पत्थर का बना चार पाँच फीट ऊँचा एक लेम्प रखा रहता है जो इनके खूबसूरत घरों को और सुंदर बना देता है ..

साधारण जापानियों के घर परदों ,कालीनों और सोफों से नही सजाये जाते हैं वहाँ कालीन के स्थान पर बारीक बुनी हुई बड़ी बड़ी चटाईयां बिछाई जाती है दरवाजे और खिड़कियाँ खोले नही जाते बलिक सरकाए जाते हैं उन पर शीशे के थान पर चावल का बना हुआ कागज लगाया जाता है बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को छोड़ कर सभी जापानी जमीन पर ही बैठते हैं और जमीन पर ही सोते हैं उनके कमरों में श्रृंगार की एक नीची मेज ,एक खाने की नीची छोडी मेज जो सिर्फ़ १५ या १६ इंच ऊँची होती है और एक लिखने की मेज होती है इन सब चीजों का प्रयोग जमीन पर रुई के गद्दों पर बैठकर किया जाता है घर के अन्दर अधिकतर चीड़ के पदों के गमले सजे होते हैं और इस में सबसे हैरानी की बात है की कोई भी तीस साल का पेड़ भी २ फीट से ऊँचा नही होता है यह पेड़ कमरे में बहुत ही सुंदर लगते हैं
जापानी आज भी लकड़ी का मिटटी के बर्तन भोजन के लिए ज्यादा इस्तेमाल करते हैं इन बर्तनों पर यह एक चमक दार पालिश करते हैं उस पर सुंदर बेल बूटे बनाते हैं इनका भोजन का समय सुबह ११ बजे और शाम को ६ बजे होता है भोजन के बीच चार बार हरी चाय पी जाती है यह चाय बिना दूध और चीनी के होती है

इनकी जापानियों में चाय पिलाने की एक विशेष विधि होती है और यह चाय भी एक विशेष विधि से बनायी जाती है .इसको बचपन से ही सिखाया जाता है ख़ास कर लड़कियों को ..चाय बनाते समय इकी पत्तियों में कुछ ओषधि के साथ यह पीसी जाती हैं ..जब कोई मेहमान आता है तो वह अपने जूतों को दरवाजे पर ही उतार देता है और फ़िर सादे सलीपर पहन कर अन्दर जाता है इसके बाद उसको दीवार के पास लगाये हुए एक गद्दे पर बिठा दिया जाता है उसी कमरे में एक अंगीठी में चाय बनाई जाती है साथ में इसके एक विशेष मिठाई भी परोसी जाती है उसको खाने के लिए एक सफ़ेद कागज जो की चावल का बना होता है वह दिया जाता है ..फ़िर चाय बन जाने पर घर की एक बड़ी उम्र की महिला मेहमान के सामने बैठ कर चाय पीती है इसके बाद धीरे धीरे सब चाय को पीते हैं और उस बनी कलाकारी की सुन्दरता का भी आनंद साथ साथ लेते हैं बीच में मिठाई भी खाई जाती है और जो मिठाई बच जाती है उसको उसी सफेद कागज में लपेट कर मेहमान को दे दिया जाता है

इनका एक और विशेष पेय होता है जिसे सांके कहते हैं यह चावल से बनाया जाता है यह एक छोटे से प्याले में डाल कर पिया जाता है और यहाँ पर जो कठपुतली का तमाशा भी बहुत अजीब ढंग से से किया जाता है खेल दिखाने वाला सिर से पैर तक काले बुर्के से ख़ुद को ढके रहता है लेकिन कठपुतलियाँ बहुत चमकीले कपड़े पहने हुए होती हैं जो एक पल में दर्शकों का मन मोह लेती हैं ..यह लोग बहुत वीर होने के साथ साथ बहुत भावुक भी होते हैं यह लोग तनिक सा भी अपमान नही सह सकते हैं ..तो यह थी कुछ रोचक बातें जापान सूरज के साथ उगते देश की .कैसी लगी आपको यह यात्रा ... मुझे जरुर पाती लिख कर बताये फ़िर चलेंगे एक और रोचक यात्रा पर रोचक जानकारी के साथ .....

तब तक के लिए आप करे आराम
हम फ़िर करेंगे आपसे राम राम

आपकी दीदी

रंजू


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3 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

दीदी की पाती मिली लिये अनौखा देश
कैसे वहाँ के लोग और कैसा है परिवेश
कैसा है परिवेश चटाई, कागज,प्याले
छोटे-छोटे पेड, मेज और गद्दे वाले
छोटे खुद हैं, मगर बडे दिल के ये प्रानी
बडे वीर,साहसी,चुस्त और स्वाभिमानी
छोटा सा ये मुल्क मगर सब जग मे ख्याती
लिये अनोखा देश मिली दीदी की पाती..

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत अच्छी लगी आपकी पाती। यह सिलसिला ज़ारी रखें।

सीमा सचदेव का कहना है कि -

aapki paati to har baar nai-nai jaankaari barpoor hoti hai ,bahut achcha lagta hai . aapse bachcho ke bahaane ham bhi bahut si jaankaariyaan haasil kar rahe hai

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