Tuesday, June 10, 2008

आम

आम फलों का राजा है
सबके मन को भाता है
इसका मीठा स्वाद अनोखा
सबका मन ललचाता है


हरे लाल और पीले पीले
प्यारे प्यारे खूब रसीले
कुछ छोटे कुछ मोटे मोटे
कुछ खट्टे कुछ मीठे मीठे


आओ गुड़िया तुम भी खाओ
यूँ ना दूर खड़ी ललचाओ
देखो गुठली फेंक ना देना
जा बगिया में इसको बोना


पाओगी फिर आम का पौधा
बगिया में जो बढ़ता जाता
आम के आम गुठली के दाम
क्यूँ कहते ये समझ में आता


अचार चटनी मुरब्बे खाओ
जी भर मैंगो शेक बनाओ
एक नहीं जी भर के खाओ
सबको इसका स्वाद बताओ

मीठे मीठे खाओ आम
कड़वी बोली तजो तमाम
इससे कितना सुख पाओगे
सबके प्यारे बन जाओगे


सुषमा गर्ग
10.06.2008


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7 पाठकों का कहना है :

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

हम आज ही आम खरीदकर खायेंगे

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

आपकी कविता से आम
आम नही रखा खास हो गया
देखते ही देखते पप्पू पास हो गय

सुन्दर रसीली कविता

Anonymous का कहना है कि -

alokjun88बहुत ही मीठा आम
आलोक सिंह "साहिल"

सीमा सचदेव का कहना है कि -

wow ...! sushama ji MENGO MELA .Maja aa gaya aapke raseele aam ka svaad chakh kar ,bahut meethe hai :)

Pooja Anil का कहना है कि -

सुषमा जी ,

बड़े रसीले आम हैं , मन ललचा रहा है .....
एक बात आपने बहुत सही कही कि -

देखो गुठली फेंक ना देना
जा बगिया में इसको बोना

पाओगी फिर आम का पौधा
बगिया में जो बढ़ता जाता

पिछले सप्ताह हम सब यहाँ जो पेड़ लगाने की बात कर रहे थे , वो बचपन में ऐसे ही शुरू होती है , अच्छी आदतें जितनी जल्दी हो सकें उतना जल्दी अपना लेनी चाहिए , पर सारी गुठलियाँ नहीं बोना -:) नहीं तो घर में जंगल बन जायेगा :)

शुभकामनाएं .
^^पूजा अनिल

Kavi Kulwant का कहना है कि -

Sushma Ji aap to baazi maar le gayeen..very nice..

Anonymous का कहना है कि -

hello sushmaji ake aachi or prenadayak kavita.bal maan sunder kavita.

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