बड़े रसीले आम हैं , मन ललचा रहा है ..... एक बात आपने बहुत सही कही कि -
देखो गुठली फेंक ना देना जा बगिया में इसको बोना
पाओगी फिर आम का पौधा बगिया में जो बढ़ता जाता
पिछले सप्ताह हम सब यहाँ जो पेड़ लगाने की बात कर रहे थे , वो बचपन में ऐसे ही शुरू होती है , अच्छी आदतें जितनी जल्दी हो सकें उतना जल्दी अपना लेनी चाहिए , पर सारी गुठलियाँ नहीं बोना -:) नहीं तो घर में जंगल बन जायेगा :)
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7 पाठकों का कहना है :
हम आज ही आम खरीदकर खायेंगे
आपकी कविता से आम
आम नही रखा खास हो गया
देखते ही देखते पप्पू पास हो गय
सुन्दर रसीली कविता
alokjun88बहुत ही मीठा आम
आलोक सिंह "साहिल"
wow ...! sushama ji MENGO MELA .Maja aa gaya aapke raseele aam ka svaad chakh kar ,bahut meethe hai :)
सुषमा जी ,
बड़े रसीले आम हैं , मन ललचा रहा है .....
एक बात आपने बहुत सही कही कि -
देखो गुठली फेंक ना देना
जा बगिया में इसको बोना
पाओगी फिर आम का पौधा
बगिया में जो बढ़ता जाता
पिछले सप्ताह हम सब यहाँ जो पेड़ लगाने की बात कर रहे थे , वो बचपन में ऐसे ही शुरू होती है , अच्छी आदतें जितनी जल्दी हो सकें उतना जल्दी अपना लेनी चाहिए , पर सारी गुठलियाँ नहीं बोना -:) नहीं तो घर में जंगल बन जायेगा :)
शुभकामनाएं .
^^पूजा अनिल
Sushma Ji aap to baazi maar le gayeen..very nice..
hello sushmaji ake aachi or prenadayak kavita.bal maan sunder kavita.
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