आओ बसाएं स्वर्ग धरा पर
आओ बनाएं दुनिया सुंदर
सबको दें खुशहाली,
जीवन सबका बगिया सा हो
महके ज्यों फुलवारी ।
आओ बसाएं स्वर्ग धरा पर
उपवन बन जग चहके,
मिलकर झूमें नाचे गाएं
सारी धरती बहके ।
आओ उगाएं सूर्य धरा पर
जीवन सबका चमके,
उजियारा पहुंचे हर घर में
किरणों से घर दमके ।
आओ मिटाएं बैर भाव सब
दुश्मन रहे न कोई,
मीत बने जग अपना सारा
आँसू बहे न कोई ।
कवि कुलवंत सिंह
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6 पाठकों का कहना है :
वाह! कुलवंत जी,
सुन्दर रचना.. एक दम लयबद्धता के साथ गाये जाने वाली सन्देशप्रद बाल-कविता
सुंदर कविता इस बार भी कवि कुलवंत जी आपने लिखी है
कुलवंत जी,
समकालीन बाल-साहित्य सृजन बहुत मुश्किल है। अभी आपको बहुत मेहनत की ज़रूरत है।
कवि जी.. मतलव पूरी तैयारी है
मृत्युलोक वासियों को स्वर्गवासी बनाने की..
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ओहो मेरा मतलव बिना मरे स्वर्ग देख पायेंगे बाबा
alokjun88अच्छी प्रस्तुति
आलोक सिंह "साहिल"
hearteist thanks dear friends!
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