Friday, June 6, 2008

आओ बसाएं स्वर्ग धरा पर

आओ बनाएं दुनिया सुंदर
सबको दें खुशहाली,
जीवन सबका बगिया सा हो
महके ज्यों फुलवारी ।

आओ बसाएं स्वर्ग धरा पर
उपवन बन जग चहके,
मिलकर झूमें नाचे गाएं
सारी धरती बहके ।

आओ उगाएं सूर्य धरा पर
जीवन सबका चमके,
उजियारा पहुंचे हर घर में
किरणों से घर दमके ।

आओ मिटाएं बैर भाव सब
दुश्मन रहे न कोई,
मीत बने जग अपना सारा
आँसू बहे न कोई ।

कवि कुलवंत सिंह


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6 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

वाह! कुलवंत जी,

सुन्दर रचना.. एक दम लयबद्धता के साथ गाये जाने वाली सन्देशप्रद बाल-कविता

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सुंदर कविता इस बार भी कवि कुलवंत जी आपने लिखी है

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

कुलवंत जी,

समकालीन बाल-साहित्य सृजन बहुत मुश्किल है। अभी आपको बहुत मेहनत की ज़रूरत है।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

कवि जी.. मतलव पूरी तैयारी है

मृत्युलोक वासियों को स्वर्गवासी बनाने की..
....
....
ओहो मेरा मतलव बिना मरे स्वर्ग देख पायेंगे बाबा

Anonymous का कहना है कि -

alokjun88अच्छी प्रस्तुति
आलोक सिंह "साहिल"

Kavi Kulwant का कहना है कि -

hearteist thanks dear friends!

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