रामायण- भाग:3
महारानियो! बड़े हो गए हैं चारों कुमार,
बस अब कुछ दिन लुटायें इन पर अपना प्यार,
फिर जाना हैं इन्हें मेरे संग गंगा पर,
जहाँ गुरुकुल को हैं इनका इंतज़ार
रानियाँ अपनी जगह पर ही गईं थम
बोली, गुरुवर मत दीजिये हमें
अपने लालों से बिछड़ने का गम
इनसे अलग कैसे जी पाएंगे हम
ऋषि बोले यह हैं बड़ी ही पुरानी रीति,
और यही कहती हैं बस नीति
गुरुकुल में मिलता हैं सबको ज्ञान
जिसे पा कर कुमार हो जायेंगे विद्वान
गुरुकुल में भी होती हैं गुरुमाता
जिनका बच्चों से होता हैं माँ का सा नाता
दिव्य और अलौक हैं वहाँ की जमीं
नहीं होगी इन्हें किसी तरह की कोई कमी
गुरुकुल में बिताने हैं इन्हें केवल कुछ साल,
ताकि वेद ज्ञान पा जाएँ यह बाल
इन्हें गुरुकुल ले जाने की दें इजाजात,
अन्यथा में अपने कर्तव्य से हो जाऊंगा पराजत
बालकवि राघव शर्मा
रामायण- भाग:1 | रामायण- भाग:2 |
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
नन्हे राघव द्वारा राघव गाथा गान वाकई सराहनीय है..
लगे रहो मुन्ना भाई...
प्रभु श्री राम कि कृपा बनी रहे..
राघव,
तुम्हारा प्रयास प्रसंशनीय है।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)