अपने प्यारे बापू
कितने अच्छे थे अपने बापू
सादा सा जीवन था उनका
लड़े लडाई सच की ही वह
ध्यान हमेशा रखा सबका।
हिंसा ना भाती थी उनको
साथ अहिंसा का अपनाया
सबके लिए थी दया-भावना
बड़ा काम कर दिखलाया।
भारत को स्वतंत्र करने में
जीवन लगा दिया सारा
अंग्रेजों को बाहर करने में
ऊंचा था उनका ही नारा।
दुबली-पतली काया थी पर
हिम्मत उनमें थी लोहे जैसी
मन के बहुत ही पक्के थे वह
बातें न करते थे ऐसी-वैसी।
सादा सा खाना खाते थे
सादा सा ही था पहनावा
बोल-चाल और घमंड का
कभी नहीं करा दिखावा।
सरल स्वभाव बड़ा था उनका
अडिग रहे वह निश्चय पर
सत्य और न्याय को पूजा
नहीं था उनको किसी का डर।
साबरमती के संत ने दी
सच्ची अपनी पहचान
करी भलाई देश की और
हो गया उस पर कुर्बान।
अंग्रेजों के चंगुल से छीना
देश किया अपना आजाद
शांति और अहिंसा की सीखें
हम सब रखें उनकी याद।
---शन्नो अग्रवाल
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3 पाठकों का कहना है :
धारा प्रवाह के साथ कविता में सरल-सहजता से शान्ति -अहिंसा का पैगाम दिया .बधाई .
ठीक कहा शन्नो जी । अगर बापू सरीखे नेता नहीं होते तो शायद हम अभी भी गुलामी की जंजीरों में जकड़े होते ।
वह क्या खूब कहा
साबरमती के संत ने दी
सच्ची अपनी पहचान
करी भलाई देश की और
हो गया उस पर कुर्बान।
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