अपने प्यारे बापू
कितने अच्छे थे अपने बापू
सादा सा जीवन था उनका
लड़े लडाई सच की ही वह
ध्यान हमेशा रखा सबका।
हिंसा ना भाती थी उनको
साथ अहिंसा का अपनाया
सबके लिए थी दया-भावना
बड़ा काम कर दिखलाया।
भारत को स्वतंत्र करने में
जीवन लगा दिया सारा
अंग्रेजों को बाहर करने में
ऊंचा था उनका ही नारा।
दुबली-पतली काया थी पर
हिम्मत उनमें थी लोहे जैसी
मन के बहुत ही पक्के थे वह
बातें न करते थे ऐसी-वैसी।
सादा सा खाना खाते थे
सादा सा ही था पहनावा
बोल-चाल और घमंड का
कभी नहीं करा दिखावा।
सरल स्वभाव बड़ा था उनका
अडिग रहे वह निश्चय पर
सत्य और न्याय को पूजा
नहीं था उनको किसी का डर।
साबरमती के संत ने दी
सच्ची अपनी पहचान
करी भलाई देश की और
हो गया उस पर कुर्बान।
अंग्रेजों के चंगुल से छीना
देश किया अपना आजाद
शांति और अहिंसा की सीखें
हम सब रखें उनकी याद।
---शन्नो अग्रवाल

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 पाठकों का कहना है :
धारा प्रवाह के साथ कविता में सरल-सहजता से शान्ति -अहिंसा का पैगाम दिया .बधाई .
ठीक कहा शन्नो जी । अगर बापू सरीखे नेता नहीं होते तो शायद हम अभी भी गुलामी की जंजीरों में जकड़े होते ।
वह क्या खूब कहा
साबरमती के संत ने दी
सच्ची अपनी पहचान
करी भलाई देश की और
हो गया उस पर कुर्बान।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)