Saturday, October 10, 2009

गुस्सा



गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

मीठी बोली से सीखो तुम, दुश्मन का भी मन हरना
जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

बाती जलती अगर दिए में, घर रोशन कर देती है
बने आग अगर फैलकर, तहस नहस कर देती है।

बहुत बड़ा खतरा है बच्चों गुस्सा बेकाबू रहना।
जल्दी से सीखो---

खिलते हैं जब फूल चमन में, भौंरे गाने लगते हैं
बजते हैं जब बीन सुरीले, सर्प नाचने लगते हैं।

कौए-कोयल दोनों काले किसको चाहोगे रखना।
जल्दी से सीखो--

करता सूरज अगर क्रोध तो सोंचो सबका क्या होता
कैसी होती यह धरती और कैसा यह अंबर होता।

धूप-छाँव दोनों हैं पथ में, किस पर चाहोगे चलना।
जल्दी से सीखो----

करती नदिया अगर क्रोध तो कैसी होती यह धरती
मर जाते सब जीव-जन्तु, खुद सुख से कैसे रहती।

जल-थल दोनों रहें प्यार से या सीखें तुम से लड़ना।
जल्दी से सीखो--

इसीलिए कहता हूँ बच्चों, क्रोध कभी भी ना करना
जब तुमको गुस्सा आए तो ठंडा पानी पी लेना।

हर ठोकर सिखलाती हमको, कैसे है बचकर चलना।
जल्दी से सीखो---




--देवेन्द्र कुमार पाण्डेय


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9 पाठकों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

devendra ji ,
aapne to hmaara gussa bhi khatam kar diya .kavita laajwaab hai .baal udyaan par aapka swaagat hai .

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

बहुत सुन्दर लिखा है । ये न केवल बच्चों के लिये सीख है बल्कि बड़ों के लिये भी है । सच में गुस्सा सब कुछ तहस-नहस कर देता है और सब भस्म होने के बाद ही पता चलता है ।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

देवेन्द जी,

अच्छी एंट्री मारी है आपने। आप भी सीमा जी की तरह (स्वर-व्यंजन) और अनिल जी तरह (पहाड़ा) कोई एक विषय लेकर धासू कविताएँ लिखिए, जिसके बहाने बच्चों का मनोरंजन भी हो और जानकारी भी मिले।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

देवेन्द्र जी,
गुस्सा ठंडा करने के लिए बहुत अच्छी शिक्षाप्रद कविता लिखी है. बधाई! आगे से आपकी ऐसी ही प्यारी कविताएँ और कहानियाँ पढ़ने का इंतज़ार रहेगा.

रावेंद्रकुमार रवि का कहना है कि -

इतने सारे उपदेश बच्चों के लिए ही क्यों?

Pooja Anil का कहना है कि -

devendra ji,

bahut badhiya kavita likhi hai, par ab ise badon ke liye bhi bana dijiye, bachchon se jyada gussa to badon ko aata hai :).

गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

मीठी बोली से सीखो तुम, दुश्मन का भी मन हरना
जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

sabhi ke saath hamen bhi aapki aur kavitaon ka intezaar rahega.

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

प्रशंसा के लिए आप सभी का आभारी हूँ
नीलम जी का गुस्सा समाप्त हो गया यह तो बड़ी खुशी की बात है
रवि जी एवं पूजा जी का कहना एकदम सही है ..."सारे उपदेश बच्चों के लिए ही क्यों ?"
'पर उपदेश कुशल बहुतेरे'
चलिए आज से हम सभी इन पर अमल करने का संकल्प लें
बच्चों पर कविता लिखना बहुत कठिन काम है आप लोगों की माँग ने तो मुझे धर्म संकट में डाल दिया
यह तो अनायास बाल उद्यान पर आ गया था
फिर भी प्रयास करूँगा ।
सादर
देवेन्द्र पाण्डेय।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -
This comment has been removed by the author.
Shamikh Faraz का कहना है कि -

बहुत ही बढ़िया लगा
कविता के बहाने सीख देना.

मीठी बोली से सीखो तुम, दुश्मन का भी मन हरना
जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

गुस्सा बहुत बुरा है। इसमें जहर छुपा है।

बाती जलती अगर दिए में, घर रोशन कर देती है
बने आग अगर फैलकर, तहस नहस कर देती है।

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