आओ मनाएँ मिल के दिवाली
उजालों का त्यौहार दिवाली,
पटाखों का त्यौहार दिवाली,
और मिठाई का त्यौहार,
आओ मनाएँ मिल के दिवाली।
अमावस का अंधकार मिटायें,
अपने घर को खूब सजायें,
पूजा की थाली से ले कर,
घर के बाहर दीप जलायें।
मम्मी बड़े चाव से देखो,
आँगन में रंगोली बनाये,
पप्पा भी बाजार से जाकर,
खील, खिलौने, पटाखे लाये।
जगमग-जगमग करती जाती,
छज्जे पर बल्बों की लड़ियाँ,
मुन्नी भी मस्ती में देखो,
खूब जलाती है फुलझड़ियाँ।
चारो तरफ है धूम-धड़ाका,
पटाखे बहुत ही शोर मचायें,
नन्हा भैया डर के मारे,
बिस्तर के नीचे छुप जाये।
दिवाली हमको याद दिलाये,
बुराई पर अच्छाई की जीत,
तुम भी बातें अच्छी करना,
करना सबसे मनसे प्रीत।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
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5 पाठकों का कहना है :
ab to bs diwaali man hi jaaye jaldi se aur achche se .
अनिल जी,
बहुत प्यारी कविता है. आपको सपरिवार व हमारे हिन्दयुग्म के सभी साथिओं को आने वाले दीपावली के अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.
दिवाली की शुभकामनायें
आप सभी को कविता पसंद आई, जान कर हर्ष हुआ । प्रोत्साहन के लिये आभार ।
दीपावली की शुभकामनाएँ ।
चड्डा जी की कवियों के अंत में एक सीख ज़रूर छिपी होती है.
दिवाली हमको याद दिलाये,
बुराई पर अच्छाई की जीत,
तुम भी बातें अच्छी करना,
करना सबसे मनसे प्रीत।
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