Tuesday, October 13, 2009

आओ मनाएँ मिल के दिवाली



उजालों का त्यौहार दिवाली,
पटाखों का त्यौहार दिवाली,
और मिठाई का त्यौहार,
आओ मनाएँ मिल के दिवाली।

अमावस का अंधकार मिटायें,
अपने घर को खूब सजायें,
पूजा की थाली से ले कर,
घर के बाहर दीप जलायें।

मम्मी बड़े चाव से देखो,
आँगन में रंगोली बनाये,
पप्पा भी बाजार से जाकर,
खील, खिलौने, पटाखे लाये।

जगमग-जगमग करती जाती,
छज्जे पर बल्बों की लड़ियाँ,
मुन्नी भी मस्ती में देखो,
खूब जलाती है फुलझड़ियाँ।

चारो तरफ है धूम-धड़ाका,
पटाखे बहुत ही शोर मचायें,
नन्हा भैया डर के मारे,
बिस्तर के नीचे छुप जाये।

दिवाली हमको याद दिलाये,
बुराई पर अच्छाई की जीत,
तुम भी बातें अच्छी करना,
करना सबसे मनसे प्रीत।

--डॉ॰ अनिल चड्डा


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

5 पाठकों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

ab to bs diwaali man hi jaaye jaldi se aur achche se .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

अनिल जी,
बहुत प्यारी कविता है. आपको सपरिवार व हमारे हिन्दयुग्म के सभी साथिओं को आने वाले दीपावली के अवसर पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

रश्मि प्रभा... का कहना है कि -

दिवाली की शुभकामनायें

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

आप सभी को कविता पसंद आई, जान कर हर्ष हुआ । प्रोत्साहन के लिये आभार ।

दीपावली की शुभकामनाएँ ।

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी की कवियों के अंत में एक सीख ज़रूर छिपी होती है.
दिवाली हमको याद दिलाये,
बुराई पर अच्छाई की जीत,
तुम भी बातें अच्छी करना,
करना सबसे मनसे प्रीत।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)