Sunday, October 25, 2009

दो एकम् दो, दो दुनी चार, जल्दी से आ जाता फिर से सोमवार

सुनिए नीलम मिश्रा की आवाज में अनिल चड्डा की सीख इन पहाडों के माध्यम से और दीजिये अपनी बहुमूल्य
पर सच्ची टिप्पणी कि आपको यह छोटा सा प्रयास कैसा लगा?

दो का पहाड़ा


तीन का पहाड़ा


चार का पहाड़ा


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4 पाठकों का कहना है :

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

वाह! वाह! नीलम जी आपकी यह नयी हरकत......अरे नहीं, नहीं फिर मुझसे गलती हो गयी कहने में .....
मेरा मतलब है की यह एक नया प्रयोग जो अनिल जी के पहाडे रट कर गाने का आपने चालू किया है मुझे बड़ा भाया. सिलसिला जारी रखियेगा ( हुक्म की तामील....यानी कदर की जाये ). Hahhhhhhh.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) का कहना है कि -

hahahahaha..bahut achcha laga....

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

नीलमजी,

आपकी आवाज में पहाड़े सुन कर बहुत ही अच्छा लगा । सच में बहुत ही अच्छे बन पड़े हैं ।मेरी रचनाओं को आवाज देने का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
यदि आप कहें तो मैं एक और बाल गीत आपको भेजना चाहूँगा जिसे आप अपना स्वर दें सकें ।

neelam का कहना है कि -

awashya

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