Wednesday, October 21, 2009

कुछ इधर-उधर की बातें



आओ बच्चों करें आज कुछ इधर-उधर की बातें
घर में क्या हो रहा है और कुछ मौसम की भी बातें।

दादा जी के खर्राटों की आवाजें सुन बिल्ली आ जाती
दरवाजे के बाहर बैठी म्याऊँ-म्याऊँ कर शोर मचाती।

होमवर्क करने को तो गुड्डू अक्सर जाता है टाल
पर नहीं ऊबता देखकर दिनभर टीवी पर फुटबाल।

अचानक बारिश रुक जाती बादलों के चले जाने पर
घास पर अटकी झिलमिल करती बूँदें जाती हैं झर।

पतझर आने पर जब पेड़ों से सारे पत्ते जाते हैं झर
ले जाती है तब गिलहरी गिरे सेवों को कुतर-कुतर।

पतझर आने पर सबसे पहले तो आती है दीवाली
लक्ष्मी पूजन की सजाते हम-सब मिलकर थाली।

फिर कुछ दिन बाद मनायेंगे मिलकर सब क्रिसमस
ढेरों से उपहार मिलेंगे और गले मिलेंगे सब हँस-हँस।

आओ सबसे पहले दीवाली का पूजन कर दिये जलायें
झिलमिल-झिलमिल करे रोशनी सब बच्चे नाचें-गायें।

जी भर के आज उड़ाओ मस्ती खाओ खूब सभी पकवान
लेकिन जब भी फोड़ो पटाखे रहना तुम बहुत ही सावधान।

तुम सबका भविष्य हो उज्जवल जगमग हो दीप जैसा
अपने घर के तुम सभी दीप हो भारत चमके तारों जैसा।

--शन्नो अग्रवाल


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

5 पाठकों का कहना है :

Shamikh Faraz का कहना है कि -

कविता के अंत में जो सन्देश दिया है आपने.यह अच्छा तरीका लगा.

तुम सबका भविष्य हो उज्जवल जगमग हो दीप जैसा
अपने घर के तुम सभी दीप हो भारत चमके तारों जैसा।

dschauhan का कहना है कि -

शन्नो जी आप तो हमेशा ही बहुत अच्छी और मौके पर अपनी कविता का बम फोड़ती हैं इसबार थोडा देर से ही सही पर दीवाली के अनार की तरह आपकी कविता ने बच्चों के लिए ज्ञान की रोशनी फैलाई है! हार्दिक बधाई!
देवेन्द्र सिंह चौहान

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

शामिख जी, देवेन्द्र जी,
आप दोनों के कमेंट्स पढ़कर कितना अच्छा लगा की शब्दों में बता नहीं सकती. बहुत धन्यबाद. आप सभी पढ़ने वाले ही तो मेरे प्रेरणा-श्रोत हैं.

rachana का कहना है कि -

shanno ji
aap kab bhi kuchh likhti hai vo kavita se kam nahi hota fir ye kavita hi hai sunder bachchon ke sath mujhe bhi asim aanand aaya
saader
rachana

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

रचना जी,
आपका कमेन्ट पढ़कर ख़ुशी व उत्साह दोनों ही मिलते हैं. धन्यबाद. आपको सपरिवार बहुत शुभकामनाएं.

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)