Friday, October 30, 2009

माता पिता में सकल जहान

नमस्कार बच्चो ,
आप सब अपने माता-पिता से बहुत प्यार करते हैं न ।
माता-पिता से बढकर दुनिया में कुछ नहीं होता । उन्हीं के चरणों में सम्पूर्ण विश्व समाया है , माता-पिता के आगे स्म्पूर्ण ब्रह्माण्ड भी तुच्छ है । श्री गणेश जी नें भी हमें यही संदेश दिया है । आओ मैं आपको उनकी एक काव्य-कथा सुनाती हूं , जिसमें उन्होंने माता-पिता को सम्पूर्ण संसार बता कर अपने बलशाली भाई कार्तिकेय को भी पराजित कर दिया था ।


पार्वती नन्दन गणेश
पूजा है जिनकी अति विशेष
सर्व-प्रथम जिनका वन्दन
वो गणपति बप्पा जगनन्दन
है जन-जन पर जिसकी दष्टि
उसे माता पिता ही सकल सष्टि
सुन लो एक बार की बात
खेल रहे भाई के साथ
दोनों खेल-खेल के बहाने
लगे जोर अपना आजमाने
कार्तिकेय बोले हे गणेश
ताकत है मुझमें विशेष
तुम तो बस खाते ही रहते
या आसन पर बैठे रहते
न तुम कभी करो व्यायाम
हर पल बस पढने का काम
बिन ताकत के थोथा ग्यान
लो ताकत से जीत जहान
देखो मैं कितना बलशाली
कर सकता जग की रखवाली
खडे दूरी पर नारदमुनि
कार्तिकेय की बात सुनी
सुनकर उनके पास में आए
बोले अपना शीश झुकाए
प्रतियोगिता से होगा निर्णय
देखो मिलेगी किसे विजय
दोनों भाई हुए तैयार
नापेंगे सकल संसार
विश्व घूम पहले जो आए
वही तो बलशाली कहलाए
कार्तिकेय खुश मन ही मन
जीत नहीं सकता गजानन
प्रथम तो बस मैं ही आऊंगा
बलशाली मैं कहलाऊंगा
घूमने निकल पडे संसार
गणपति गए बस घर के द्वार
एक विचार यूं मन में जन्मा
शिव-गौरी की ली परिक्रमा
बैठ गए आ मां की गोद
लगे वो करने हास-विनोद
बोले नारद हे गजानन
लांघा नहीं घर का आंगन
मिलेगी कैसे तुम्हें विजय
जीतेगा बस कार्तिकेय
चेहरे पर लाकर मुस्कान
बोले कार्तिकेय नादान
माता-पिता में विश्व समाया
न जाने वो क्यों भरमाया
कर लिया पूरा मैने काम
मां की गोदि में करूं आराम
जब उनसे यह बात सुनी
गिरे चरणों में नारद मुनि
बात समझ में उनके आई
माता-पिता में सष्टि समाई
घूम के जब कार्तिकेय आया
नारद जी ने यह समझाया
माता-पिता से करे जो प्यार
पूजता है उनको संसार
माता-पिता ही जग में महान
खुल गए कार्तिकेय के कान
खेल खेल में दिया संदेश
माता पिता ब्रह्म विष्णु महेश
माता पिता का करे जो वंदन
कट जाते उसके सब बंधन


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2 पाठकों का कहना है :

परमजीत सिहँ बाली का कहना है कि -

बढिया शिक्षाप्रद बाल गीत है।बधाई।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

सीमा जी,
आपके काव्यानुवाद का तो जबाब ही नहीं. हर बात को काव्य में उतार देती हैं. बहुत बढ़िया लिखा है. बधाई!

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