पाँच एकम पाँच
पाँच एकम पाँच,
पाँच दूनी दस,
अपनी बातों में सदा,
घोल के रखना रस।
पाँच तीए पंद्रह,
पाँच चौके बीस,
रखना अच्छी आदतें ,
लेना अच्छी सीख।
पाँच पंजे पच्चीस,
पाँच छेके तीस,
लालच तुम करना नहीं,
रखो दूर बुरी चीज।
पाँच सत्ते पैंतीस,
पाँच अट्ठे चालीस,
राहों में बोना नहीं,
काँटों के तुम बीज।
पाँच नामें पैंतालीस,
पाँच दस्से पचास,
करना काम लगन से
खोना मत विश्वास।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
दो एकम दो । तीन एकम तीन । चार एकम चार ।
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6 पाठकों का कहना है :
is pahade ko padh ke bahut achchha laga aap ne kavita roop me is ko nikhara hai.
sunder
saader
rachana
अनिल जी,
आप हर बार हर गिनती के पहाडे की कविता बड़ी ही रोचक लिखते हैं होती है. बधाई.
रचनाजी एवँ शन्नोजी,
आपको रचना पसन्द आई, जान कर मन हर्षित हुआ। प्रोत्साहन के लिये आभार ।
ye to galat baat hai anil ji ,jisne comment nahi likha use aapko pahaade pasand nahi aate ho ,aisa to nahi hai ,aainda se aap sirf ek ya do naam sambodhit nahi karenge ,aap likhenge ki aap sabhi ko meri rachna pasand aayi iska shkriya .kabhi likhne ka samay nahi mil paata par padhte to hm bhi hain .aur agar aapko naam dwara hi sambodhit karne ki laailaaj bimaari hai ,to hmaara naam bhi likhiye chaahe hm comments likhe ya n likhen .
anil ji hmaare huqm ki taamil hoooooooooooooooooooooooooooooooooooooo.
ye baat shanoo ji v sabhi anay aabhar vyakt karne waalon par laagoo hoti hai .hqm ki taaamil hoooooooooooooooooooooo
नीलमजी,
मेरी ऐसी कोई मंशा नहीं थी कि जो पढ़ कर कमेन्ट नहीं देते उनका शुक्रिया नही करूँगा । मैं उन सभी का आभारी हूँ जो मेरी कविता को पढ़ते हैं और फिर पसन्द कर के तारीफ भी करते हैं । इससे मेरा उत्साह और बढ़ जाता है। परन्तु यदि किसी ने कमेन्ट लिखा है तो उससे सीधे-सीधे संबंध सा स्थापित हो जाता है । आप ये मान कर चलिये कि आप और उन सभी का जो अपने अमुल्य समय में से थोड़ा सा समय निकाल कर मेरी कविता पर नज़र मार लेते हैं , मैं आप समेत उन सभी का तहेदिल से आभारी हूँ ।
लीजिये आपके हुक्म की तामिल हो गई ।
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