Friday, October 9, 2009

चार एकम चार



चार एकम चार,
चार दूनी आठ,
मिल-जुल के खाना,
बराबर-बराबर बाँट।

चार तीये बारह,
चार चौके सोलह,
मुसीबत के वक्त,
होश नहीं खोना।

चार पंजे बीस,
चार छेके चौबीस,
मत हारना हिम्मत,
करते रहना कोशिश।

चार सत्ते अट्ठाईस,
चार अट्ठे बत्तीस,
मात, पिता, गुरूओं से,
लेना तुम आशीष।

चार नामे छत्तीस,
चार दस्से चालीस,
अन्तर्मन को हरदम,
रखना तुम खालिस।

--डॉ॰ अनिल चड्डा

(दो का पहाड़ा)तीन का पहाड़ा


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8 पाठकों का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

४ का पहाडा बढिया लगा ,लेकिन ४ को हिंदी में लिखा होता तो ठीक लगता .

hemant vaishnav का कहना है कि -

mai balkavita bhejana chahta hu prakashan hoga

नियंत्रक । Admin का कहना है कि -

मंजू जी,

हिन्द-युग्म अंकों के हिन्दी या देवनागरीकरण का पक्षधर नहीं है, क्योंकि अभी जो दुनिया में हर जगह एक समान अंकीय प्रणाली मान्य है, वह भी भारतीय ही है। 0,1,2,3,4...........9 को इंडो-अरेबिक अंकीय प्रणाली बोलते हैं। ०, १, २, ३, ४,.....९ प्राचीन भारतीय अंकीय प्रणाली है जो डिजीटल-मित्र नहीं है।

हिन्दी के सॉफ्टवेयर निर्माताओं ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है, इसलिए हिन्दी टाइपिंग ऑज़ारों में यह परेशानी बनी हुई है।

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

अनिल जी,
बहुत बढ़िया प्रयोग है बच्चों पर. सोचती हूँ:

अब इसी बहाने चलो हमें
भूले पहाडे भी याद आयेंगे
और अभी तो जरा सरल हैं
आगे कठिन भी हो जायेंगें.

देवेन्द्र पाण्डेय का कहना है कि -

आदरणीय डा० साहब-
यह पहाड़ा तो गुरू जी ही बोलेंगे
ऐसा पहाड़ा लिखिए कि बच्चे भी बोल सकें---
जैसेः-
चार एकम चार
चार दुनी आठ
खेलें क्रिकेट अब
खतम हुआ पाठ।

-मेरी धृष्टता के लिए क्षमा करें
बाल उद्यान में आया तो बच्चा बन गया।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

देवेन्द्रजी,

आपके सुझाव के लिये धन्यवाद । दर-असल मेरी कोशिश रहती है कि कोई न कोई सीख बच्चों को मिले । वैसे कवि के मन जो भाव जब लिखते हुए आयें, वो ही भाव जब व्यक्त करें तो ही कविता ह्रदय से निकली हुई प्रतीत होती है । नहीं तो कविता न कह कर हरेक कवि जुगाड़बंदी में लग जायेगा ।

ismita का कहना है कि -

lekin uncle...pahade mein galti hai...4*7=28 hota hai.....matlab chaar satte atthais....na ki ekkis (21).....baki padhkar achha laga....

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी आपने खेल खेल में पढ़ा भी दिया और शिक्षा भी दे दी.

चार नामे छत्तीस,
चार दस्से चालीस,
अन्तर्मन को हरदम,
रखना तुम खालिस।

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