चार एकम चार

चार एकम चार,
चार दूनी आठ,
मिल-जुल के खाना,
बराबर-बराबर बाँट।
 
चार तीये बारह,
चार चौके सोलह,
मुसीबत के वक्त,
होश नहीं खोना।
चार पंजे बीस,
चार छेके चौबीस,
मत हारना हिम्मत,
करते रहना कोशिश।
चार सत्ते अट्ठाईस,
चार अट्ठे बत्तीस,
मात, पिता, गुरूओं से,
लेना तुम आशीष।
 
चार नामे छत्तीस,
चार दस्से चालीस,
अन्तर्मन को हरदम,
रखना तुम खालिस।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
(दो का पहाड़ा) । तीन का पहाड़ा
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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8 पाठकों का कहना है :
४ का पहाडा बढिया लगा ,लेकिन ४ को हिंदी में लिखा होता तो ठीक लगता .
mai balkavita bhejana chahta hu prakashan hoga
मंजू जी,
हिन्द-युग्म अंकों के हिन्दी या देवनागरीकरण का पक्षधर नहीं है, क्योंकि अभी जो दुनिया में हर जगह एक समान अंकीय प्रणाली मान्य है, वह भी भारतीय ही है। 0,1,2,3,4...........9 को इंडो-अरेबिक अंकीय प्रणाली बोलते हैं। ०, १, २, ३, ४,.....९ प्राचीन भारतीय अंकीय प्रणाली है जो डिजीटल-मित्र नहीं है।
हिन्दी के सॉफ्टवेयर निर्माताओं ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है, इसलिए हिन्दी टाइपिंग ऑज़ारों में यह परेशानी बनी हुई है।
अनिल जी,
बहुत बढ़िया प्रयोग है बच्चों पर. सोचती हूँ:
अब इसी बहाने चलो हमें
भूले पहाडे भी याद आयेंगे
और अभी तो जरा सरल हैं
आगे कठिन भी हो जायेंगें.
आदरणीय डा० साहब-
यह पहाड़ा तो गुरू जी ही बोलेंगे
ऐसा पहाड़ा लिखिए कि बच्चे भी बोल सकें---
जैसेः-
चार एकम चार
चार दुनी आठ
खेलें क्रिकेट अब
खतम हुआ पाठ।
-मेरी धृष्टता के लिए क्षमा करें
बाल उद्यान में आया तो बच्चा बन गया।
देवेन्द्रजी,
आपके सुझाव के लिये धन्यवाद । दर-असल मेरी कोशिश रहती है कि कोई न कोई सीख बच्चों को मिले । वैसे कवि के मन जो भाव जब लिखते हुए आयें, वो ही भाव जब व्यक्त करें तो ही कविता ह्रदय से निकली हुई प्रतीत होती है । नहीं तो कविता न कह कर हरेक कवि जुगाड़बंदी में लग जायेगा ।
lekin uncle...pahade mein galti hai...4*7=28 hota hai.....matlab chaar satte atthais....na ki ekkis (21).....baki padhkar achha laga....
चड्डा जी आपने खेल खेल में पढ़ा भी दिया और शिक्षा भी दे दी.
चार नामे छत्तीस,
चार दस्से चालीस,
अन्तर्मन को हरदम,
रखना तुम खालिस।
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