दीपावली विशेषांक-भाग-२
 ‘दीपावली’ यानी कि भरपूर मस्ती, पटाखे और धूम-धडाका। पटाखों के बिना तो दीपावली अधूरी लगने लगेगी, यह बात कुछ हद तक तो ठीक है किंतु प्यारे बच्चों, पटाखे खतरनाक भी होते हैं। आपकी छोटी सी लापरवाही से आपको जला सकते हैं या कि किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।
‘दीपावली’ यानी कि भरपूर मस्ती, पटाखे और धूम-धडाका। पटाखों के बिना तो दीपावली अधूरी लगने लगेगी, यह बात कुछ हद तक तो ठीक है किंतु प्यारे बच्चों, पटाखे खतरनाक भी होते हैं। आपकी छोटी सी लापरवाही से आपको जला सकते हैं या कि किसी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। 
पिछली दीपावली में नीटू ने फुलझड़ी जला कर सड़क पर फेंक दी थी जिससे चुनमुन का पैर जल गया था। रिंकू ने हाथ में रख कर अनार जलाना चाहा था जो कि हाथ ही में फट गया और वह बुरी तरह जल गया। टिम-टिम के कान ही के पास एक जोर की आवाज वाला पटाखा फटा था जिससे वह अब ठीक से सुन नहीं पाता। रोशनी के घर के परदों में जो आग लगी थी वह लापरवाही से राकेट चलाने के कारण ही तो हुई थी। बच्चो, पटाखे असावधानी से चलाने के लिये नहीं होते। अकेले चलाने के लिये भी नहीं होते। - पटाखे चलाते समय अपने पापा-मम्मी या कि भैया-दीदी को साथ जरूर लें।
- पटाखे चलाते समय अपने पापा-मम्मी या कि भैया-दीदी को साथ जरूर लें।
-  बरनौल, रूई जैसी चीजें आपके फर्स्ट-एड बाक्स में अवश्य होनी चाहिये। साथ ही पटाखे खुले मैदान में चलाये जहाँ पानी की भरी हुई बाल्टी भी साथ रखें। 
- पापा के साथ पटाखे खरीदने जाते हुए अपनी पसंद के पटाखों के लिये जिद बिलकुल न करें। जिद करना अच्छी बात नहीं होती। आपके पापा अच्छी तरह जानते हैं कि आपकी उम्र के अनुरूप किस तरह के पटाखे खरीदे जायँ।
- ज्यादा आवाज वाले पटाखे छोटे बच्चों और बुजुर्गों के कानों पर बुरा प्रभाव डालते हैं। इससे बहरे हो जाने तक का खतरा है। यह सलाह है कि पटाखे चलाने से पहले अपने कानों में रूई डाल लें, यह तेज धमाकों में आपके कानों की रक्षा करेगा। 
- पटाखे के धूएँ से अपनी नाक और आँख दोनों को बचायें। आपके कोमल शरीर पर इसके बुरे प्रभाव भी हो सकते हैं। 
- अनार जमीन पर रख कर दूर से ही उसमें आग लगायें। हाथ में रख कर चलाने से उसके फूट जाने का खतरा है। आप इसमें जल भी सकते हैं। 
- राकेट खुली जगह में ही चलायें। मोहल्ले में चलाने पर यह किसी घर में घुस सकता है और इस तरह आग लगने का बड़ा खतरा भी हो सकता है। 
- शरारती बच्चे गाड़ी, स्कूटर, छोटे बच्चों के पीछे और कुत्तों की पूँछ में लड़ी बाँध कर जला देते हैं। आपकी यह छोटी सी शरारत बड़ी दुर्घटना का कारण भी बन सकती है। एसा कभी न करें। 
- ऐसा पटाखा जो सुलग कर नहीं फटा हो, उसकी ओर न जायें, वह अचानक फट कर आपको दुर्धटनाग्रस्त कर सकता है। 
- सबसे महत्वपूर्ण बात कि पटाखे कम चलायें। पटाखों से वायु प्रदूषित होता है। हमें जिम्मेदार और जागरूक नागरिक बनना चाहिये।
आपका-
राजीव रंजन प्रसाद
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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4 पाठकों का कहना है :
राजीव जी,
बहुत बेहतरीन तरीके से आपने उन सभी बातों पर प्रकाश डाला है जो वास्तव में जरूरी है बच्चों के लिये भी और बडों के लिये भी...
दोनो विशेषांक बहुत सुदर प्रस्तुति..
बच्चो,
राजीव अंकल की बात मानोगे तो कभी किसी भी दीपावली के लिए पछतावा नहीं होगा।
राजीव जी, आपने बुनियादी बातों पर जोर दिया है, जो अक्सर दीवाली में लोगों के साथ हो जाती हैं। हम इन तमाम चीजों का ध्यान रख कर ही अच्छे तरीके से दीपावली मना सकते हैं।
पटाखे को जलाने के तरीके और सीख के लिये बहुत बहुत धन्यवाद
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