पहेलियाँ

1,हाथ बढाओ ,दौड़ लगाओ
मुझको पकड़ न पाओ
करो अँधेरा मुझे छिपाओ
करो उजाला साथ में पाओ
2, दूर बादलों में जा कर भी 
हाथ तुम्हारे रहती हूँ
करो इशारा उधर ही जाऊं
मुहं से कुछ न कहती हूँ !
3, गर्मी गर्मी मुझसे डरते 
सर्दी में करते हैं बात
मैं जब आऊं दिन हो जाता
जाऊं तो हो जाए रात !
4, मैं अपने को देख न पाती 
चेहरे की शोभा कहलाती !
5, जहाँ मैं चाहती,वहाँ में जाऊं
कभी किसी के हाथ न आऊं
जिंदा सबको रखना मेरा काम
भला बताओ क्या है मेरा नाम ?
उत्तर ...१ परछाई .२,पतंग ,३, सूरज ४. आँखे ५ हवा

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 पाठकों का कहना है :
पहेलियां जहां बच्चों का मनोरंजन करती हैं, वहीं वे तर्क शक्ति को भी जगाती हैं।
बधाई स्वीकारें।
रंजना जी
सुन्दर पहेलियाँ लिखी हैं । बचपन की याद दिला दी आपने । बधाई स्वीकर करें ।
सुन्दर पहेलियाँ हैं, और चित्र सुन्दर है.
बच्चों की दीदी आप, सचमुच के समुन्दर हैं
नही पार मिले कोई, इतनी गहराई है..
हर लहर लहर सीपी, अन्दर तक पायी है..
हम बोलें क्या तुमको.. बस दिल से बधाई है
बस दिल से बधाई है..
रंजना जी,
सभी पहेलियां रोचक हैं और प्रस्तुति भी सुन्दर है सचित्र.
सभी पहेलियाँ अच्छी बन पडी हैं। इस विधा को नवजीवन दिया जाना आवश्यक हैं। आपकी और भी एसी प्रस्तुतियों की प्रतीक्षा रहेगी।
*** राजीव रंजन प्रसाद
अरे वाह
पहेलियाँ
नई सीरीज.... बहुत अच्छा लगा।
रंजू जी, इसे ज़ारी रखें।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)