तीन पहेलियाँ
(१)
दिखाये दूर का, पास का ,
बनता है ये कांच का ||
बिना इनके दादी-नानी,
कुछ भी न देख पाती ||
क्या है ये नाम बता ?
आंखों पर की आंख बता ||
(२)
पानी में तैरता, पर पानी से बना,
पानी में डाल दो, पानी कर दे ठंडा |
रखो खुले में तो फिर पानी बन जाये,
कोई है जो इसका नाम बताये ?
(३)
बचपन में तो आती नहीं,
बड़े हो जाओ तो जाती नहीं |
काट दो तो फिर आ जाये,
आए तो फिर कभी न जाये |
उत्तर (१) चश्मा (२) बर्फ (३) दाढ़ी

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
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एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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4 पाठकों का कहना है :
आंखों पर की आंख बता
मजेदार पहेलियां हैं..
पहेलियों के रूप में यह नई शुरूआत है। बधाई स्वीकारें।
खोडके जी,
सुन्दर बाल सुलभ पहेलियों के लिये बधाई
बहुत अच्छी पहेलियाँ
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