हितोपदेश- 9. दोस्ती मगर सोच समझ कर
प्यारे बच्चो ,
आपने हितोपदेश की बहुत सी कहानियाँ पढी हैं न अब पढिए और देखियें इसे नए रूप में आपके मनु अंकल ने इस कहानी पर कार्टून भी बनाए है आपको बहुत अच्छे लगते हैं न कार्टून कार्टून के साथ कहानी का तो मजा ही कुछ और है सुन्दर चित्रों के साथ मजेदार कहानी आपके लिए हम मनु अंकल से अनुरोध करेंगे कि वो आगे से सभी कहानियों पर चित्र बनाएं बताना जरूर ,नहीं तो आपके अंकल जी नाराज़ हो जाएँगे और फिर हमें अच्छे-अच्छे कार्टून नहीं बना कर
देंगे -
दोस्ती मगर सोच समझ कर
एक बार इक मृग और कौआ
पक्के मित्र थे दोनों भैया
दोनों ही मिलजुल कर रहते
सुख-दुख इक दूजे से कहते
एक बार वहाँ भेड़िया आया
मृग को देख के वो ललचाया
दिखने में है कितना प्यारा
खाकर इसको आए नजारा
सोचा उसने एक उपाय
क्यों न उसको दोस्त बनाए
पहले जाए उसके पास
बनाए पूरा ही विश्वास
फिर जब कोई मौका पाए
तो धोखे से उसको खाए
सोच के गया वो मृग के पास
बँधाने लगा उसे विश्वास
मीठी बातों से रिझाने
लगा वो मृग को अपना बनाने
बोला यहाँ पे मैं अकेला
न कोई गुरु न कोई चेला
नहीं मेरा कोई परिवार
छूट गया सारा घर-बार
कोई न करे मेरे संग बात
रहता हूँ चुपचाप दिन-रात
न मेरे कोई पास में आता
न कोई सुख-दुख बँटाता
बोलो यूँ कब तक रह जाऊँ
अकेले कैसे जीवन बिताऊँ
सोचा तुमको दोस्त बनाऊँ
हो सके तो कुछ काम भी आऊँ
जो हो मैत्री स्वीकार
बाँटेगे हम मिलकर प्यार
मृग उसकी बातों में आया
उसको अपना दोस्त बनाया
इतने में कौआ वहाँ आया
भेड़िये को मृग के घर पाया
पूछा मृग से उसका नाम
आया वो यहाँ किस काम
मृग ने भेड़िए से मिलवाया
और आने का कारण बताया
लुट गई इसकी दुनिया सारी
करना चाहता है मुझसे यारी
समझ गया सब कौआ स्याना
डाल रहा यह मृग को दाना
जैसे ही इसको मिलेगा मौका 
मृग को यह दे देगा धोखा
मृग से फिर यूँ बोला कौआ
सुनो ध्यान से बात यह भैया
भेड़िया कितना ताकतवर
बिन मतलब न जाए किसी दर
नहीं जानो तुम इसके बारे
दोस्ती न करना बिना विचारे
उस पे न करना एतबार
जिसका न जानो घर-बार
भागा वहाँ से भेड़िया सुनकर
समझा मृग यह सब अब जाकर
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बच्चो समझना बातें सारी
सोच समझ कर करना यारी
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इन लाजवाब चित्रों के लिए मनु जी को हार्दिक धन्यवाद......सीमा सचदेव
चित्रकार- मनु बे-तखल्लुस

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5 पाठकों का कहना है :
ये कथाएं सर्वकालिक और सर्वोपयोगी हैं । काश, लोग इनका मर्म समझें और इन पर अमल करें ।
हितोपदेश, पंचतंत्र.. ये वो कहानियाँ हैं जो जीवन भर आपके साथ रहती हैं। मैंने बचपन में बहुत कहानियाँ सुनी व पढ़ी हैं। अब जैसे ही आपकी कोई कहानी पढ़ता हूँ तो तुरंत याद आ जाता ्है..
मनु जी.. आपकी शायरी और चित्रकारी.. दोनों का जवाब नहीं है....
मनु जी ! स्वीकारें नमन, देखे सुदर चित्र.
प्रतिभा का वन्दन करुँ, सच्चे दिल से मित्र.
पंचतंत्र की कथाएँ, समयजयी हैं सत्य.
पीढी-दर-पीढी पढ़ें, घर-घर में सब नित्य.
कथाकार ने गूढ़ को, सरल बनाया खूब.
बच्चे बूढे युवा सब, जाते इनमें डूब.
कविता में गति और लय, यत्किंचित है भंग.
'सलिल' प्रशंसक आपका, सतत चाहता संग.
आचार्य ...आप आए....
बच्चे के पास शब्द नहीं हैं .आपके लिए शुक्रिया कहने के......
आपके हर लफ्ज़ से मालूम होता था के........
इस गूढ़ प्राणी में एक बच्चा भी कहीं छुप छुप के झांकता है
भीगी आंखों से नमन...
कथाएं कविताएं बेहतर लेकिन मनु भाई की पैंटिंग भी कुछ कम नहीं। हर चित्र लाजवाब और हर चित्र कहता एक कहानी एक सफर पैंटर की। वाह।
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