Thursday, August 26, 2010

चित्र प्रदर्शनीः लखनऊ में हुई चित्रकला प्रतियोगिता से

उत्तर प्रदेश सचिवालय कालोनी, महानगर, लखनऊ में सेक्रेटरियेट वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में आयोजित स्वतन्त्रता दिवस की 63वीं जयन्ती पर आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों के अतिरिक्त चित्रकला की प्रतियोगिता भी रखी गई थी जिसे कुल तीन श्रेणियों में बाँटा गया।
श्रेणी एक में कक्षा-नर्सरी से कक्षा-2 तक, श्रेणी दो में कक्षा-3 से कक्षा-5 तक तथा श्रेणी तीन में कक्षा-6 से कक्षा-12 तक के विद्यार्थियों सम्मिलित किया गया। तथा प्रत्येक श्रेणी में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार रखे गये। इसके अतिरिक्त कुछ विशिष्ट तथा अन्य को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किए गए।

पुरस्कृत चित्रों का विवरण निम्न प्रकार से है:-

श्रेणी-एक विषय- स्वतंत्रता दिवस

प्रथम- यशांशु सिंह कक्षा-2,


द्वितीय- शारिक़ कक्षा-2,


तृतीय- लव कक्षा-2



श्रेणी-दो विषय-पर्यावरण

प्रथम- सूर्यांश सिंह कक्षा-5,


द्वितीय- अंशिता श्रीवास्तव कक्षा-5,


तृतीय- शिखर सिंह कक्षा-3



श्रेणी-तीन विषय- जय जवान-जय किसान

प्रथम- गौरव जायसवाल कक्षा-9,


द्वितीय- अपर्णा पाल कक्षा-12,


तृतीय- शुभ्रा सिंह कक्षा-12


श्रेणी-अन्य

विशेष पुरुस्कार- सौम्या सिंह कक्षा-2,


सांत्वना पुरुस्कार-

सलोनी कक्षा-1,


समृद्धि कक्षा-3,


जय कक्षा-3,


प्राची कक्षा-4,


समर्थ प्रधान कक्षा-5,


कार्तिकेय कक्षा-5,


आयुषी कक्षा-5,


श्रुति कक्षा-7





प्रस्तुति-
देवेन्द्र सिंह चौहान
सचिव, सेक्रेटरियेट एवेन्यू वेलफेयर एसोसिएशन
सचिवालय कालोनी, महानगर, लखनऊ एवं
अपर निजी सचिव, उत्तर प्रदेश सचिवालय, लखनऊ
दूरभाष 0522 - 2238942 (कार्यालय), 0522 - 2238309 (फैक्स)
मोबाइल - 9454410099


Monday, August 23, 2010

रक्षाबंधन



प्यारे बच्चों ,

आज हम आपके लिए लाये हैं ,एक बहन के कुछ भाव इन शब्दों के माध्यम से जो हम सबको याद दिलाते हैं ,भाईओं को अपनी बहन की ,और बहनों को अपने भाइयों की ,आईये हम सब कुछ न कुछ तोहफा दे ,वो कुछ भी हो सकता है ,दूर बैठी अपनी बहन को एक प्यारा सा सन्देश ही ..........................


एक अनूठा पर्व प्रीत का मन भाया रक्षाबंधन
याद दिलाने स्नेह जगाने फिर आया रक्षाबंधन !


रक्षाबंधन नीड़ में पले सहोदर एक सुनी थी मीठी लोरी
मात्र नहीं है कच्चा धागा प्रेम की यह पक्की डोरी

अंतर के दर्पण में कितने रंग बिरंगे धागे आते
बरसों बरस बीतते जाते नन्हें हाथ बड़े हो जाते !

बचपन के वे खेल-खिलौने छूटा वह रूठना मनाना
नए-नए परिवारों से जुड़, अपने निज परिवार बसाना

बहन करे प्रार्थना दिल से, हो रक्षा उसके भाई की
स्वस्थ रहे, सानंद रहे, है पुकार उसकी ममता की !

भाई देता वचन हृदय से सुख-दुःख में है साथ सदा
कभी भरोसा टूटेगा ना स्मरण दिलाता रहे सदा

राखी साक्षी है वर्षों की सदा जगायेगी यह प्रीत
बांटे ढेर दुआएँ हर दिल उत्सव की अनोखी रीत


अनिता निहलानी

(चित्र गूगल से साभार )











Wednesday, August 18, 2010

रंग- बिरंगे, सुन्दर -सुन्दर चित्र

प्यारे बच्चों ,
आज हम लाये हैं ,आप के लिए रंग- बिरंगे ,सुन्दर -सुन्दर चित्र जिसे बनाया है ,आपकी ही तरह प्यारी सी मलक मेहता ने ,देखो और जी भर के तारीफ़ करो ,कोई कंजूसी नहीं ........................तारीफ़ करने में .

मलक मेहता

जन्मतिथि- 9 मार्च 2001
कक्षा- 4
अभी-अभी मलक ने चौथीं कक्षा में प्रवेश लिया है। डीपीएस स्कूल, सूरत की छात्रा मलक सरोज ख़ान से नृत्य-विद्या की ट्रेनिंग ले चुके प्रशिक्षक से डांस सीख रही हैं। किसी समय में मलक को लॉन टेनिस का भी शौक था, लेकिन इस दिनों नृत्य का जुनून है। चित्रकारी से विशेष लगाव है।








Sunday, August 15, 2010

आजाद देश के वासी

प्यारे-प्यारे बच्चो, नमस्कार!
आप सभी को पता है कि 15 अगस्त आजादी दिवस है..तो आप लोग अपने दोस्तों व परिवार के संग मिलकर खूब धूम-धाम से इस दिन पर उत्सव मनाना और हमेशा अपने देश का हित सोचना..हमारे देश को बहुत मुश्किल से आजादी मिली थी..इसकी हमेशा लाज रखना और रक्षा करना आप सभी का परम कर्तव्य है... समझ गये ना? और देखो, मैंने आप लोगों के लिये ये कविता भी लिखी है...इसको पढ़ते हुये मुझे भी याद कर लेना..आप सभी लोगों को स्वतंत्रता दिवस की बहुत बधाई और मेरा ढेर सारा प्यार. अच्छा चलो, अब कविता पढ़ो और अपनी आंटी..यानी मुझे बताना मत भूलना कि आपको ये कविता कैसी लगी..ठीक..? जल्दी ही फिर मिलूँगी...तब तक के लिये बाईईई...

आजाद देश के वासी

बच्चो आओ तुम्हे सुनाऊँ
इस देश की एक कहानी
आजादी को पाने को
लोगों ने दी थी क़ुरबानी
भारत है आजाद हमारा
और तुम इस देश के वासी
गाँधी, सुभाष और लोग भी
थे आजादी के अभिलाषी
उनके संग न जाने कितने
लोगों ने भी त्याग किया था
अंग्रेजों के चंगुल से फिर
अपने देश को छुड़ा लिया था
थे गुलाम सब लोग यहाँ
और पराधीन था देश
जंजीरों से जकड़ा हर कोई
फरक हुआ परिवेश
हर किसी की जुबान पर
था स्वतंत्रता का नारा
तब भारत माता के लालों ने
अंग्रेजों को ललकारा
अब तुम सब बच्चे मिलकर
करना अच्छे-अच्छे काम
अच्छी बातों को ही अपनाना
करना देश का ऊँचा नाम
अनहित की न कभी सोचना
ना करना दुखी किसी को
है भविष्य तुम्ही से इसका
ना अब देना इसे किसी को.

-शन्नो अग्रवाल


Saturday, August 14, 2010

आजाद देश के पंछी हम


प्यारे बच्चों, तो आजादी के दिवस पर आप सबकी स्कूल जाने से छुट्टी है तो मौज करो और खुशियाँ मनाओ लेकिन अपनी आजादी का फायदा कभी इस तरह ना उठाना कि किसी को दुख मिले या तुम्हारे अपने जीवन में परेशानियाँ आयें..हमेशा कोमल भावनायें व नेक इरादों को अपने मन में रखना..किसी की मजबूरियों का मजाक ना उड़ाना..और देखो मैंने आपके लिये एक और कविता लिखी है इस अवसर पर...पढ़कर जरूर बताना इसके बारे में कुछ कहकर...मुझे और नीलम आंटी को भी जरूर याद करना इस दिन...

जय हिंद !


आजाद देश के पंछी हम


आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !

हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन

सुबह-सुबह सो के उठी मुन्नी
बोली मेरी स्कूल से छुट्टी
भैया की कालेज से छुट्टी
पापा की आफिस से छुट्टी
आज सबकी है मौज सारा दिन

हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन

आज खेलेंगें, टीवी देखेंगे
परेड निकलेगी, गाने सुनेंगे
सड़कों पर जलूस निकलेगा
भरत नाट्यम डांस भी होगा
होगी तब ताक धिना-धिन

हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन

आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !

प्राइम मिनिस्टर की स्पीच होगी
पापा डांटेंगे कमरे में चुप्पी होगी
मम्मी किचन में जायेगी
आज वो खीर हलवा खिलायेगी
आसमान में पतंगें उडेंगी अनगिन

हाँ, आज का दिन छुट्टी का दिन

आजाद देश के पंछी हम
जय हिंद ! वन्दे मातरम् !

-शन्नो अग्रवाल


बच्चो, इस कविता को मैंने अपनी आवाज़ भी दी है। सुनकर ज़रूर बताना कि आपलोगों को कैसी लगी?



(चित्र गूगल से साभार)


Thursday, August 12, 2010

नौ एकम नौ, नौ दूनी अट्ठारह,


नौ एकम नौ, नौ दूनी अट्ठारह,

नौ एकम नौ,
नौ दूनी अट्ठारह,
मुँह धो के आलस,
कर दो नौ दो ग्यारह


नौ तीए सत्ताईस,
नौ चौके छत्तीस,
हँस-हँस के करते रहो,
खुशियों की तुम बारिश


नौ पंजे पैंतालीस,
नौ छके चौव्वन,
कर लो जो कुछ करना है,
फिर बीत जायेगा जीवन

नौ सत्ते त्रेसठ,
नौ अटठे बहतर,
संग बुरे बच्चों का हरदम,
होता ही है बदतर


नौ नामे इक्यासी,
नौ दसे नब्बे,
बबलूजी पहाड़े पढ़ कर,
हो गये हक्के-बक्के ।



--
डा0अनिल चड्डा,



Tuesday, August 10, 2010

राजा की बारात



प्यारे बच्चों ,
निखिल की एक और प्यारी कविता प्रस्तुत है ,पढो और अपने दोस्तों को भी सुनाओ ,और चाहो तो अपनी नानी को भी सुना सकते हो ...........................

राजा की बारात

गर्मी में छत पर आ बैठे,

जब हुई अंधेरी रात...

नानी कहने लगीं कहानी,

बच्चे थे छह—सात..

हाथी-घोड़ा, नर और नारी,

नाच रहे थे साथ,

मंगलगान गा रहे थे,

लिए हाथ में हाथ..

हर व्यक्ति के हाथों में थी,

कुछ न कुछ सौगात..

राजमहल में जड़े हुए थे

हीरे-पन्ने जवाहरात,

जब हमने नानी से पूछा,

आखिर क्या थी बात?

वो बोलीं-आने वाली थी

आसमान से राजा की बारात...


Friday, August 6, 2010

भावी पीढ़ी



प्यारे बच्चों आज हम सब के लिए लायी हैं पूजा आंटी एक प्यारी सी कहानी,पढ़ कर बताओ कैसी लगी और तुमने इस कहानी से क्या सीखा ,हाँ एक बात और तुम चाहो तो हमे लिख कर
भेज सकते हो कि तुम अपना जन्मदिन कैसे मानना चाहते हो ??????



भावी पीढ़ी

"मोहित बेटा!! इधर आइये ."

"जी पापा जी, कहिये."
"बेटा, अगले इतवार को तुम्हारा बर्थडे है, अपने जीवन का पहला दशक पूरा करोगे . तुम अपने सारे दोस्तों को इनवाईट कर लो ."
"पापाजी, इस साल मुझे बर्थडे नहीं मनाना."
"क्यों बेटा, इस साल बर्थडे क्यों नहीं मनाना? किसी ने कुछ कहा तुमसे?"
"नहीं पापाजी, कहा तो नहीं किसी ने कुछ भी..."
"फिर क्या बात है बेटा?"
"पापाजी, हमारी क्लास टीचर ने हमें बताया कि हम लोग देश की भावी पीढ़ी हैं, आने वाले कल में हमें ही देश की भागडोर संभालनी है ."
"हाँ बेटा, यह तो सच है, आने वाले कल में तुम लोगों में से ही कोई देश का प्रधान मंत्री बनेगा और कोई राष्ट्रपति."
"पापाजी, देश को सँभालने की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है ना?"
"हाँ बेटा, देश को सँभालने के लिये व्यक्ति का जिम्मेदार इंसान होना बहुत आवश्यक होता है. पर इस सबका तुम्हारे जन्मदिन से क्या लेना देना?"
"पापाजी, एक सवाल का जवाब और दीजिये प्लीज़."
"कहो.."
"क्या जिम्मेदार होने के लिये बड़ी उम्र होना जरूरी है?"
"नहीं बेटा, ऐसा तो कुछ जरूरी नहीं होता, छोटी उम्र में भी कई लोगों ने बड़े कारनामे किये हैं."
"पापाजी, इसीलिए मैं भी अपना जन्मदिन नहीं मानना चाहता."
"तुम्हे क्या लगता है, अपना जन्मदिन नहीं मनाने से तुम महान हो जाओगे?"
"पापाजी , मुझे महान नहीं जिम्मेदार होना है."
"अच्छा!! हमें भी बताइए कि आप जिम्मेदार कैसे होंगे?"
"आप मेरे बर्थडे के लिये बहुत सा पैसा खर्च करते हैं, उस पैसे को सही जगह पर खर्च करके. पापाजी, हमारे स्कूल के पास रतन चाय वाले के पास एक 7 साल का लड़का काम करता है, उसके पिताजी के पास उसे पढ़ाने का पैसा नहीं है, इस लिये उसे काम करना पड़ता है, और काम करने की वजह से उसे स्कूल जाने का समय नहीं मिलता, क्यों ना हम यह पैसा उसकी पढाई पर खर्च करें? "
"यह सब सोचने के लिये तुम अभी बहुत छोटे हो बेटा, जब तुम बड़े हो जाओ, तब तुम्हारा जो मन करे वही करना, अभी तुम्हारे खेलने के दिन हैं, जन्मदिन मनाने से तुम्हारे सभी दोस्त तुम्हारे लिये ढेर सारे खिलौने लाते हैं, उन सब को देख कर तुम्हे कितनी ख़ुशी मिलाती है, है ना? "
"पापाजी, पिछले साल बर्थडे पर मुझे कितने खिलौने मिले थे...."
"वही तो बेटा, इस साल भी मिलेंगे, जाओ, तुम अपने सभी दोस्तों से कह देना."
"नहीं पापाजी, मैंने अब तक पिछले साल वाले बहुत से खिलौनों को खोला भी नहीं है और इतनी पढाई करनी पड़ती है कि समय भी नहीं मिलता कि सब खिलौनों से खेला जाये. पापाजी, आप यूँ भी मेरा जन्म दिन मनाना चाहते हैं, इस बार कुछ अलग तरह से जन्मदिन मनाईये ना..!! प्लीज़ पापा प्लीज़."

लेखिका
(पूजा अनिल)
फोटो
(दीपक मिश्रा)


Tuesday, August 3, 2010

सावन आया रे !




प्यारे बच्चों तुम सब को बहुत प्यार करने वाली शन्नो आंटी ने भेजी है एक प्यारी सी कविता पढो ,और बताओ कि कैसी लगी :-




सावन आया रे !
सावन की फैली हरियाली
झूमे हर डाली मतवाली
बचपन की याद दिलाती
आँखें फिर भर-भर आतीं
जब छायें घनघोर घटायें
झम-झम बारिश हो जाये
हवा के ठंडे झोंके आते थे
सब आँगन में जुट जाते थे
गर्जन जब हो बादल से
हम अन्दर भागें पागल से
पानी जब कहीं भर जाये
तो कागज की नाव बहायें
मौसम का जादू छा जाये
कण-कण मोहित हो जाये
गुलपेंचे का रूप बिखरता
हरसिंगार जहाँ महकता
एक नीम का पेड़ वहाँ था
और जहाँ पड़ा झूला था
झगड़े जिस पर होते थे
पर साहस ना खोते थे
बैठने पे पहल होती थी
और बेईमानी भी होती थी
जब गिर पड़ते थे रोते थे
दूसरे को धक्का देते थे
माँ तब आती थी घबरायी
और होती थी कान खिंचाई.

-शन्नो अग्रवाल

( चित्र - गूगल से साभार )

इस कविता को आप नीलम आंटी की प्यारी आवाज़ में सुन भी सकते हैं। नीचे का प्लेयर चलायें।



Sunday, August 1, 2010

जानवर राजा


प्यारे बच्चों ,
एक प्यारी मजेदार कविता आपके सामने प्रस्तुत है जिसे भेजा है "निखिल आनंद गिरि "ने पढो और बताओ आपको ये कविता कैसी लगी

जानवर राजा
सभा बुलाई जानवरों ने,
विषय था कौन बने सिरमौर?
कुछ थे शेर के पक्ष में,
कुछ करते हाथी पर गौर
उधेड़बुन में फंसे रहे सब,
खूब चला लंबा ये दौर..
तभी बीच में भालू बोला-
सुन लो मेरा भी सुझाव,
क्यों नहीं मनुष्यों जैसे,
हम भी करवाएं एक चुनाव
सब जानवर स्वीकृत हुए,
बोले-‘अच्छा है प्रस्ताव’
अगले दिन संपन्न हुआ,
मतदान और मतगणना का काम
अखबारों में ख़बर थी ताज़ा,
शेर घोषित हुआ ‘जानवर राजा’।

निखिल आनंद गिरि