राजा की बारात
प्यारे बच्चों ,
निखिल की एक और प्यारी कविता प्रस्तुत है ,पढो और अपने दोस्तों को भी सुनाओ ,और चाहो तो अपनी नानी को भी सुना सकते हो ...........................
राजा की बारात
गर्मी में छत पर आ बैठे,
जब हुई अंधेरी रात...
नानी कहने लगीं कहानी,
बच्चे थे छह—सात..
हाथी-घोड़ा, नर और नारी,
नाच रहे थे साथ,
मंगलगान गा रहे थे,
लिए हाथ में हाथ..
हर व्यक्ति के हाथों में थी,
कुछ न कुछ सौगात..
राजमहल में जड़े हुए थे
हीरे-पन्ने जवाहरात,
जब हमने नानी से पूछा,
आखिर क्या थी बात?
वो बोलीं-आने वाली थी
आसमान से राजा की बारात...
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)