सावन आया रे !

प्यारे बच्चों तुम सब को बहुत प्यार करने वाली शन्नो आंटी ने भेजी है एक प्यारी सी कविता पढो ,और बताओ कि कैसी लगी :-
सावन आया रे !
सावन की फैली हरियाली
झूमे हर डाली मतवाली
बचपन की याद दिलाती
आँखें फिर भर-भर आतीं
जब छायें घनघोर घटायें
झम-झम बारिश हो जाये
हवा के ठंडे झोंके आते थे
सब आँगन में जुट जाते थे
गर्जन जब हो बादल से
हम अन्दर भागें पागल से
पानी जब कहीं भर जाये
तो कागज की नाव बहायें
मौसम का जादू छा जाये
कण-कण मोहित हो जाये
गुलपेंचे का रूप बिखरता
हरसिंगार जहाँ महकता
एक नीम का पेड़ वहाँ था
और जहाँ पड़ा झूला था
झगड़े जिस पर होते थे
पर साहस ना खोते थे
बैठने पे पहल होती थी
और बेईमानी भी होती थी
जब गिर पड़ते थे रोते थे
दूसरे को धक्का देते थे
माँ तब आती थी घबरायी
और होती थी कान खिंचाई.
-शन्नो अग्रवाल
( चित्र - गूगल से साभार )
इस कविता को आप नीलम आंटी की प्यारी आवाज़ में सुन भी सकते हैं। नीचे का प्लेयर चलायें।

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
5 पाठकों का कहना है :
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)