सावन आया रे !
प्यारे बच्चों तुम सब को बहुत प्यार करने वाली शन्नो आंटी ने भेजी है एक प्यारी सी कविता पढो ,और बताओ कि कैसी लगी :-
सावन आया रे !
सावन की फैली हरियाली
झूमे हर डाली मतवाली
बचपन की याद दिलाती
आँखें फिर भर-भर आतीं
जब छायें घनघोर घटायें
झम-झम बारिश हो जाये
हवा के ठंडे झोंके आते थे
सब आँगन में जुट जाते थे
गर्जन जब हो बादल से
हम अन्दर भागें पागल से
पानी जब कहीं भर जाये
तो कागज की नाव बहायें
मौसम का जादू छा जाये
कण-कण मोहित हो जाये
गुलपेंचे का रूप बिखरता
हरसिंगार जहाँ महकता
एक नीम का पेड़ वहाँ था
और जहाँ पड़ा झूला था
झगड़े जिस पर होते थे
पर साहस ना खोते थे
बैठने पे पहल होती थी
और बेईमानी भी होती थी
जब गिर पड़ते थे रोते थे
दूसरे को धक्का देते थे
माँ तब आती थी घबरायी
और होती थी कान खिंचाई.
-शन्नो अग्रवाल
( चित्र - गूगल से साभार )
इस कविता को आप नीलम आंटी की प्यारी आवाज़ में सुन भी सकते हैं। नीचे का प्लेयर चलायें।
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