जानवर राजा
प्यारे बच्चों ,
एक प्यारी मजेदार कविता आपके सामने प्रस्तुत है जिसे भेजा है "निखिल आनंद गिरि "ने पढो और बताओ आपको ये कविता कैसी लगी
जानवर राजा
सभा बुलाई जानवरों ने,
विषय था कौन बने सिरमौर?
कुछ थे शेर के पक्ष में,
कुछ करते हाथी पर गौर
उधेड़बुन में फंसे रहे सब,
खूब चला लंबा ये दौर..
तभी बीच में भालू बोला-
सुन लो मेरा भी सुझाव,
क्यों नहीं मनुष्यों जैसे,
हम भी करवाएं एक चुनाव
सब जानवर स्वीकृत हुए,
बोले-‘अच्छा है प्रस्ताव’
अगले दिन संपन्न हुआ,
मतदान और मतगणना का काम
अखबारों में ख़बर थी ताज़ा,
शेर घोषित हुआ ‘जानवर राजा’।
निखिल आनंद गिरि
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6 पाठकों का कहना है :
निखिल....!!!
निखिल बच्चों के कवि कहाँ हैं..?
और बाल कवि हुए हैं तो ये बात चिंता पैदा करती है कि क्यूँ हुए हैं..?
बाद में आते हैं..
‘अच्छा है प्रस्ताव’
अत्यंत सुन्दर प्रस्तुति !
हार्दिक आभार !
अले, ये निखिल अंकल हम बच्चों पर कबसे कविता लिखने लगे..!
बहुत अच्छी कविता है.
अंकल, एक बात बताओ, चुनाव में बेइमानी होती है क्या ? यह शेर कभी हालता ही नहीं..!
एक बार बंदर के राजा बनने की खबर थी..वो वाली कहानी सुनाइए न प्ली..ज.
मनु जी,
निखिल का भी एक बचपन था और ये उस दौर की ही कविताएं हैं...मतलब बाल कवि नहीं हुए, बालपन की कविताएं हैं ये...
बेचैन आत्मा जी, बंदर वाली कहानी भी सुनाएंगे...पहले बाल उद्यान पर ठीक से आने तो दीजिए...
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