हितोपदेश - १३ बन्दर और मगरमच्छ
नदी कूल जामुन तरु पर
रहता एक स्याना बंदर
मीठे-मीठे जामुन खाता
अपने दोस्तों को भी खिलाता
एक बार उस नदी के अंदर
बनाया एक मगर ने घर
कभी-कभी बाहर आ जाता
थोडा बंदर से बतियाता
धीरे-धीरे हो गई यारी
करते बातें प्यारी-प्यारी
बंदर जामुन तोड के लाता
मगरमच्छ को खूब खिलाता
एक बार बोला यूं मगर
ले जाऊंगा जामुन घर
पत्नी बच्चों को भी खिलाऊं
स्वाद जरा उनको भी चखाऊं
तोड दिए बंदर ने जामुन
खुश थे दोनों मन ही मन
चला मगर अब जामुन लेकर
खिलाए पत्नी को जा घर
खाकर मीठे मीठे जामुन
ललचाया पत्नी का मन
खाए रोज जो ऐसे फल
कैसा होगा उसका दिल
पत्नी मन ही मन ललचाई
मगर को इक तरकीब बताई
ले आओ तुम उसे जो घर
मार के खाएंगे वो बंदर
मगर भी अब बातों मे आया
जा बंदर को कह सुनाया
बैठ जाओ तुम मेरे ऊपर
दिखाऊंगा तुम्हें अपना घर
मानी बंदर ने भी बात
ले ली जामुन की सौगात
बैठ गया वो मगर के ऊपर
चलने लगा मगर जल पर
आया बंदर को ख्याल
किया मगर से एक स्वाल
दिखाना क्यों चाहते हो घर ?
क्या कुछ खास तेरे घर पर
नासमझी मे मगर यूँ बोला
सारा भेद ही उसने खोला
मेरी पत्नी से लो मिल
खाना चाहती है तेरा दिल
सुनकर बंदर हुआ आवाक
पर वो तो था बहुत चालाक
बोला पहले क्यों न बताया
दिल मै घर पर छोड के आया
चलो अभी वापिस जाएंगे
दिल उठाकर ले आएंगे
मुडा मगर वापिस सुनकर
नदी किनारे पर जाकर
कूद गया बंदर तरु पर
कहने लगा ऊपर जा कर
तेरा न कोई बुद्धि से नाता
दिल भी कभी कोई छोड के जाता
जाओ अब यहां कभी न आना
मुझे न तुमको दोस्त बनाना
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चित्रकार- मनु बेतख्लुस जी
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9 पाठकों का कहना है :
seemaji bahut sunder kahani hai mai kal chd gayee thi mere naati kahani sunanneko kehate hai mai aapki kahania yaad karke le gayee unhen badi achhi lagi dhanyavaad jab bhi nangal aaye to jaroor mil kar jaayen
तेरा न कोई बुद्धि से नाता
दिल भी कभी कोई छोड के जाता
जाओ अब यहां कभी न आना
मुझे न तुमको दोस्त बनाना
seema ji achchi seekh deti ,achchi kavita ,aapki saari kavitaayen rochak hoti hain ,kahiye to sab record kar doon .
manu ji bandaron ko to topi mat pahnaaiye please,
chitra achche hain ,baal udyaan ka chitra banaane ka avatanik contract aap ko diya jaata hai ,
manjoor hai to kahiye hahahahahahah,i mean haan
प्रेरक कविता है। बधाई।
नीलम जी ,
क्या बात है ? मुझे आपकी आवाज़ का इन्तजार रहेगा |
मनु जी चित्रो के माध्यम से और आप अपनी वाणी के
माध्यम से मेरी रचनाओ को आवाज़ देन्गे तो निश्चय ही
बाल-उद्यान की गूंज दूर-दूर तक पहुन्चेगी |हां मनु जी की तरह आपका कार्य भी अवैतनिक होगा.....:)
आदरणीया सीमा जी,
कहानी सुनी थी बहुत दिन पहले मैंने!
पर आपकी कहानी के क्या कहने!!
गीतबद्ध कर कही आपने सुन्दर कहानी !
जैसे साक्षात सुना रही हों मेरी नानी!!
देवेंद्र सिंह चौहान
आदरणीया सीमा जी,
कहानी सुनी थी बहुत दिन पहले मैंने!
पर आपकी कहानी के क्या कहने!!
गीतबद्ध कर कही आपने सुन्दर कहानी !
जैसे साक्षात सुना रही हों मेरी नानी!!
देवेंद्र सिंह चौहान
नीलम जी ,
क्या है के बंदरों की "लाइफ स्टडी" करने का कभी मौका ही नहें मिला......
अब बगैर स्टडी के तो चित्र बन नहीं सकता ना...????
अब आईने में ख़ुद की स्टडी करते वक्त टोपी भी बन गयी होगी ......
जो आपने देखि है......आइन्दा ध्यान रखूंगा.....अब आप लोग अवैतनिक -अवैतनिक कह कर काहे किलसा रही हैं.....???
युग्म वालो ...कम से कम यूनिपाठक को एक प्रशस्ति पत्र हिभेज दो......चलो किताबें भी मत दो.............
ha ha ha ha...
अपने आप को पात्र बनाकर दूसरों को हँसाना ,सबसे जटिल काम है ,और अभी आपने वो ही किया है ,अल्लाह आपको लम्बी उम्र दराज करे जैसे उसने बन्दर को बचाया ,आप की भी रक्षा करे मगर और घडियालों से
अब हिन्दी में हंसने की बारी है ,तो हो जाएँ शुरू ,
हु हु हु हु हु हु हहह हा अह हा अह अह हा अह हा क्रम टूटना नही चाहिए जैसे लिखा गया है ठीक वैसे ही हँसना है सभी को |
बार बार अभ्यास ते जड़मति होत सुजान |
शायद हमारी भी ऐसी गति लय ताल बन जाए
नीलम जी ,प्रयास करेंगे
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