अव्वल बन दिखलाना है
बच्चो,
परीक्षा का समय नजदीक आ रहा है,स्कूल में क्रिया कलाप भी बढ़ गए हैं ,कही बसंत मेला तो कहीं गणतंत्र दिवस की तैयारी , काफ़ी व्यस्त हैं आप सभी ,ऊपर से परीक्षा की तैयारी तो आकुल जी ने आप सभी के लिए प्रेरणा पूर्ण कविता भेजी है पढिये ,साथ में एक समय सारणी बनाओ ,कुछ समय खेल का भी निश्चित
करो , जैसे सभी काम निश्चित समय पर किए जाते हैं ,वैसे ही थोडी देर खेलकूद आपके दिमाग को फिर से तरोताजा कर देता है ,इसलिए आकुल जी की इस कविता का आशय है कि पूरे दिन नही खेलेंगे और पढ़ाई में जुट जायेंगे |
अव्वल बन दिखलाना है
-आकुल
नहीं खेलना हमको अब, पढ़ने में जुट जाना है.
अच्छे नम्बर ला कक्षा में, अव्वल बन दिखलाना है।
ना देखेंगे टी.वी., ना खायेंगे आइसक्रीम अभी.
मेहनत करके सफल बनेंगे, शौक मौज़ संगीत तभी.
जितना पढ़ा, पढ़ेंगे पहले, सभी पाठ दोहराना है.
अच्छे नम्बर ला कक्षा में, अव्वल बन दिखलाना है।
जल्दीसोने, जल्दी उठने का अभ्यास बनायेंगे।
हल्का भोजन, हल्की कसरत, तन को स्वस्थ बनायेंगे.
त्यागेंगे आलस्य हमें अब, करके कुछ दिखलाना है.
अच्छे नम्बर ला कक्षा में, अव्वल बन दिखलाना है।
माता,पिता, गुरू, साथी सब, हम पर गर्व करेंगे.
आज शहर, कल देश करेगा, यदि कुछ कर गुजरेंगे.
गुजर गया कल डटकर अब, पढ़ने में जुट जाना है.
अच्छे नम्बर ला कक्षा में, अव्वल बन दिखलाना है।
नहीं खेलना हमको अब, पढ़ने में जुट जाना है.
अच्छे नम्बर ला कक्षा में, अव्वल बन दिखलाना है.
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6 पाठकों का कहना है :
प्यारे बच्चों ,
आकुल जी ने आपके लिए इतनी बढ़िया कविता भेजी है ,इस पर अमल भी करना है ,आप सभी को |
परीक्षा की तैयारी के लिए जुट जाओ ,और अच्छे अंक लाकर सब को चौंका दो |
रेडी ,स्टेडी ,एंड गो ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
कविता तो बहुत अच्छी है.....पर अव्वल होने के लिए हमें सब कुछ करना होगा....खेलना भी होगा।
बहुत सुन्दर और सार्थक कविता है
---आपका हार्दिक स्वागत है
गुलाबी कोंपलें
बहुत सुंदर कविता लिखी आकुल जी...
आलोक सिंह "साहिल"
सभी पाठको
नववर्ष की शुभकामनायें.
बच्चे हमारी ही नहीं देश की भी संभावनायें हैं. इनके लिए कुछ भी कर सकें, इनमें संस्कार भर सकें, इन्हें अच्छी शिक्षा दे सकें, तो इनका ही नहीं हमारा भी जीवन सार्थक बन सकता है. आप सबको मेरा यह शे'र समर्पित है-
सोच ले तो कुछ नहीं, कुछ भी कर सकता है इंसां.
सोच ले तो आसमां में छेद भी कर सकता है इंसां.
बस वो अपनी क़ाबिलीयत पर तस्मीम करे 'आकुल',
सोच ले तो दरिया में समंदर भी भर सकता है इंसां.
'आकुल'
aakul ji ,
dariya me samandar n bharke ,ret ke dariya ko samandar kar de to kaisa rahega???????????
hahahahahahahaahahahahahahah
bahut khoob hain aapki panktiyaan ,aap aisi hi achchi ,rochak aur prernatamk saamgri uplabdh karaayen isi aasha ke saath
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