बाल कविता- बड़ा मज़ा आए
डा0 फहीम अहमद एक प्रतिष्ठित बाल कवि हैं। आपकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें ‘हाथी की बारात’ पुस्तक काफी चर्चित रही है। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ द्वारा सूर पुरस्कार से सम्मानित है। डा0 फहीम अहमद वर्तमान में मुमताज डिग्री कालेज, लखनऊ में लेक्चरर के पद पर कार्यरत हैं और बाल साहित्य के भण्डार को लगातार भर रहे हैं। आइए पढ़ते हैं उनकी एक बाल कविता-
बड़ा मज़ा आए
-डा0 फहीम अहमद
हर दिन रहे यूँ, शरारत का मौसम,
बड़ा मज़ा आए।
खिलते गुलाबों सी, मंद मुस्कराहट,
मस्त मगन भौरों की, लगे गुनगुनाहट।
मन मे उतर जाए, नदिया की सरगम,
बड़ा मज़ा आए।
मुनमुन ने गुड़िया की खींची जो चोटी,
गुडिया ने काट ली, मीठी चिकोटी।
खुशी उन मुखड़ों से बरस रही झमझम,
बड़ा मज़ा आए।
ऐनक लगा मुन्नू, आज बना बूढ़ा।
मम्मी सा बाँध लिया, मुन्नी ने जूड़ा।
नटखट उमंगों का लहराए परचम,
बड़ा मज़ा आए।
प्रस्तुति: जाकिर अली रजनीश

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6 पाठकों का कहना है :
वाह जी वाह , मज़ा आ गया --बचपन के दिन याद आ गये।
बहुत सुन्दर...
बड़ा मजा आया आपकी कविता पढ़कर ,स्वर बद्ध की जाने योग्य भी है |
wwah rajnish ji,mast...
bachpane me pahucha diye...
ALOK SINGH "SAHIL"
पकड़कर कलम सीख पायें जो लिखना
बातों ही बातों में कवितायें कहना
पायें, निभाएं, लुटाएं मोहब्बत
बडा मजा आए.
sanjivsalil.blogspot.com
divya narmada.lbogspot.com
बाल साहित्य को लिखने से पहले ज़रूरी होता है बाल मनोविज्ञान को समझना। डॉ फहीम अहमद का शब्द चुनाव मुझे बहुत पसंद आया।
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