काम के साथ, आराम भी जरूरी है
बच्चो आप लोगो की परीक्षा तो जल्दी आने वाली होगीं, और इसी के साथ आपकी पढ़ाई भी जोरो से शुरू हो गई होगी। जो बच्चे साल भर पढे होगें वे तो मौज में होगे तथा जो परीक्षा के दिन का इंतजार कर रहे होगे, उनका तो उनका दिल ही जानता होगा। खैर आज पढ़ाई को लेकर छोटी सीख भी कहानी प्रस्तुत कर रहा हूँ अगर आप अमल करोगे तो यह आपके परीक्षा और पढ़ाई में भी काम आयेगी।
एक बार की बात है, अर्जुन ने महाभारत के युद्ध में जयद्रथ को सुर्यास्त के पूर्व मारने का प्रण किया था और उसी अभियान में वे अपन सारथी भगवान श्रीकृष्ण के साथ निकल पडते है। सूर्यास्त होने में 2-3 घन्टे बाकी रहता है और काफी चलते-चलते घोड़े थक जाते है, अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण से कहता है- भगवान मुझे प्रतीत होगा है कि अश्व थक गये है कुछ देर इन्हे विश्राम की जरूरत जान पड़ती है और अर्जुन की बात मानते हुये भगवान ने विश्राम की अनुमति दे दिया। अर्जुन ने अपने बाणो के द्वारा घोड़ो के लिये पानी और सुरक्षा का प्रबन्ध कर दिया। कुछ देर के विश्राम के बाद घोड़े तरोताजा हो गये। फिर से उन्हे रण के लिये तैयार किया गया किन्तु घोड़े पहले की अपेक्षा कई गुना तीव्र गति से दौड़ रहे थे और सूर्यास्त से पूर्व अर्जुन ने अपना प्रण पूरा कर लिया।
इस लघु कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है कि हमें किसी काम को लगातार नही करना चाहिये, जब मन भारी लगे तो 10-15 मिनट का विश्राम लेकर फिर से काम किया जाये तो ज्यादा मन लगेगा। हम ऐसा पढ़ाई मे कर सकते है। खास तौर पर परीक्षा के दिनो में जब हमें दिन भर में करीब 10-12 घन्टे कीताबो के बीच देना होता है।
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पाठक का कहना है :
पहले आराम कर लेता हूँ, फिर दुगनी गति से टिप्पणी करुँगा. :)
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