Friday, January 23, 2009

मेरी बगिया की नन्ही कली

प्यारे बच्चो ,
कल २४ जनवरी को राष्ट्रीय कन्या-दिवस मनाया जा रहा है
मतलब कल तो लडकियों का दिन है एक बेटी के लिए
किसी माँ के भाव क्या हो सकते हैं , बताती हूँ एक कविता के माध्यम से


मेरी बगिया की नन्ही कली

मेरी छोटी सी बगिया की नन्ही कली
जिसकी खुशबू से महकेगी हर एक गली
मेरा प्यारा सा उपवन भी खिल जाएगा
जब कली को न्या रूप मिल जाएगा
जब बिखेरेगी अपनी वो सुन्दरता
हर तरफ झलेकेगी ऐसी कोमलता
तब बहारों को मिल जाएगी रागिनी
मेरी नन्ही कली को पा अपनी संगिनी
मेरे आंगन मे खुशबू फैलाएगी वो
फूल बन के सदा महकाएगी वो
जब नन्ही कली फूल बन जाएगी
अपनी खुशबू से विश्व को भी महकाएगी
उसकी खुशबू का होगा पूरा विश्व दीवाना
सभी अपने नही कोई होगा बेगाना
उसके हँसने से ही तो हँसेंगे सभी
दर्द दिल को सताएगा न फिर कभी

कन्या-दिवस पर सभी कन्याओं को हार्दिक शुभ-कामनाएं


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5 पाठकों का कहना है :

neelam का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर भाव लिए हुए ,सुंदर कविता
कन्याओं का जीवन खुशियों से भरा हो ,उन्हें भी शिक्षा का अधिकार मिले ,उन्हें भी सही पोषण मिले इसी कामना के साथ

Anonymous का कहना है कि -

सीमा जी आप कितना ध्यान रखती है हर बात का और उस पर सुंदर कवितायें भी लिखती है आप की लेखनी को नमन
रचना

संगीता पुरी का कहना है कि -

बहुत सुंदर रचना.....सबों को कन्‍याओं के बेहतर भविष्‍य के लिए सोचना चाहिए....कन्‍या दिवस पर उन्‍हें बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

अनिल कान्त का कहना है कि -

बहुत ही सुंदर रचना .....शिक्षा बहुत जरूरी है




अनिल कान्त
मेरा अपना जहान

आलोक साहिल का कहना है कि -

सीमा जी आपकी जीतनी तारीफ़ की जाए कम है...
बेहद सुंदर प्रस्तुति..
आलोक सिंह "साहिल"

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