Wednesday, January 21, 2009

श्री कृष्ण जी की बाल-लीलाएं- गोकुल मे आना

नमस्कार बच्चो ,
आज से मै लेकर आऊंगी आपके लिए श्री कृष्ण जी की बाल-लीलाएं
इससे पहले मैने आपको श्री-कृष्ण जन्म-कथा ,
गोवर्धन पूजा (काव्यात्मक-कहानी)
, कृष्ण-सुदामा तथा नरकासुर वध की
श्री कृष्ण से संबंधित कथाएं सुनाईं ,याद हैं न आपको अब पढिए कुछ और बाल-कथाएं
१.गोकुल मे आना

आओ बच्चो तुम्हें बताऊं
बालकथा कान्हा की सुनाऊं
जब कान्हा धरती पर आए
जा रहे थे वासुदेव उठाए
ताकि गोकुल छोड़ के आएं
कंस से अपने सुत को बचाएं
पथ में यमुना पड़ी अपार
कैसे जाएं नदिया पार
अंधियारी काली थी रात
ऊपर से हो रही बरसात
भीग रहा था नन्हा बालक
जो सारी सृष्टि का पालक
एक नाग यह देख के आया
फण फैला कर कर दी छाया
वर्षा से कान्हा को बचाया
यमुना नदी के मन में आया
प्रभु स्वयं यहां चल कर आए
क्यों न वह भी दर्शन पाए
चरण स्पर्श कर पुण्य कमाए
दर्शन पा धन्य हो जाए
सोच के यमुना आई ऊपर
वासुदेव मन में गया डर
गहरे पानी में जाएगा
सुत समेत डूब जाएगा
तभी कान्हा ने किया विचार
निकाल दिया अपना पग बाहर
छू कर यमुना चरण कमल
लगा ज्यों फट गया हो जल
की वसुदेव ने यमुना पार
कृष्ण स्वयं जग पालनहार
कोई भी यह समझ न पाए
यूँ कृष्ण गोकुल में आए
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3 पाठकों का कहना है :

Vinay का कहना है कि -

बहुत सुन्दर, बधाई

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

सुन्‍दर कविता।

Divya Narmada का कहना है कि -

आपका उद्देश्य सराहनीय है. सरसता अधिक हो तो सोना में सुहागा हो जाए. मिठास इतनी हो जितनी सूर के कृष्ण लीला पदों में है.

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