आप कितने बुद्धिमान हैं ?( मनु जी ने दिया ग़लत उत्तर )
लोटा ले लोटा मगर, मूली मिली न एक.
माचिस लाई छिपकली, चन्द्र-कलाएँ देख.
आचार्य संजीव वर्मा
संजीव जी और तपन जी दोनों के उत्तर सही हैं ,आचार्य जी ने जो उत्तर दोहे में पिरोया है उसे सर्वश्रेष्ठ उत्तर घोषित किया जाता है
इससे सिद्ध होता है कि किसी टोपी वाले के कहने में नही आना चाहिए ,ख़ुद भी देखा ,भाला ,सोचा समझा कीजिये ,कब किसको टोपी पहना दे पता नही (मनु जी कृपया अन्यथा न ले ,उत्तर रोचक बनाने के लिए लिख दिया है )

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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5 पाठकों का कहना है :
hahahahahaa........
to sajiv ji aur tapan bhai,aakhirkaar aap panchavi pas ho hi gaye,rah gaye bechare manu ji.koi nahin next chance..
ALOK SINGH "SAHIL"
आचार्य को प्रणाम ,
तपन जी को बधाई ,
आचार्य को बधाई इसलिए नहीं के वो सर्व ज्ञाता हैं...उन्हें नहीं मालूम होगा तो किसे मालूम होगा...?
और आप आजकल कुछ ज्यादा ही " रोचक" नहीं बना रहीं ......?
आपने रचना जी और तपन जी के साथ मिलकर एक तो मेरी शायरी वाली फैक्ट्री बंद करवा दी,और जब से मैंने इमानदारी के साथ आपको बताया है के मैं लखनऊ का नहीं दिल्ली का हूँ..........तब से तो आप बस.....
खैर बड़ा ही अच्छा लगा हार कर.....जीतने से भी अच्छा....जैसे पहले वाली भोजपुरी कविता पर एक खुशनुमा मॉहौल बन गया था....वो ही हंसी खुशी तो इस तनाव भरे जीवन से कुछ राहत दिलाती है..कभी कभी ऐसी किसी रचना पर टिपण्णी कर तो देते हैं ...पर वो बात नहीं होती के सब लोग एक परिवार की तरह से खुल कर ठहाके लगा सकें........
मनु जी ,
आप की शायरी की फैक्ट्री किस ने बंद करवा दी ?कुछ समझ में आया नही
आप लखनऊ के हो या चेन्नई के हम सब सबसे पहले भारतवासी हैं ,शैलेश जी को छोड़कर ,हा हा हा |
शोभा जी ,सीमा जी,रचना जी तथा सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद के साथ सूचित किया जाता है ,कि टोपी वाले कार्टून से ,माफ़ कीजियेगा कार्टूनिस्ट से जरा बच के रहिएगा देखिये ,सब को घुमा दिया है
रथ विहीन हैं सारथी,
शैल रहित शैलेश.
शोभा की शोभा अमित,
नीलम हैं रत्नेश.
सूझहीन की सहेली,
बनी पहेली आज.
बूझा सबने, पर मिला,
नासमझी को ताज.
तपन सपन देखे- करे
मनु उनको साकार.
हा..हा..बिन साहिल मचे
जग में हाहाकार.
रचना रच ना फ़िर कोई,
सीमा हो निस्सीम.
हा..हां. ही..ही..संग करें
सबसे राम-रहीम.
मनु जी.. कम्पीटिशन तो बनता है...:-)
वैसे आप शेरो शायरी और कार्टून बनाना जारी रखें... उसमें जो मजा है वो लम्बे लम्बे वाक्यों में नहीं....
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