Wednesday, September 3, 2008

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है?

प्यारे बच्चो,

आज तुम्हें शिक्षक दिवस (Teachers day) की कहानी सुनाती हूँ। दूर एक जगह है तिरुतन्नी, जो ६४ किमी दूर है चेन्नई से, वहाँ पर एक तेलगु मध्यम वर्गीय परिवार में ५ सितम्बर १८८८ को जन्म हुआ एक बालक का, जिसका नाम था सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Sarvepalli Radhakrishnan)। वो खूब मन लगाकर पढ़ता था। हर किसी को उनपर नाज़ था। वो हमेशा "सादा जीवन उच्च विचार" की भावना से रहता था।

उनके जीवन दर्शन को स्वामी विवेकानंद (Swami Vivekananda) व रविन्द्र नाथ टैगोर (Rabindranath Tagore) ने प्रभावित किया। बड़े होकर वे एक प्रतिभाशाली शिक्षक बने। स्कूल (Schools) के सभी विद्यार्थी उन्हें तथा सभी विद्यार्थियों को वे बहुत प्यार देते थे। विद्यार्थियों तथा सहियोगियो द्वारा उनका जन्मदिन मनाये जाने की पेशकश करने पर उन्होंने कहा की "मेरा जन्मदिन मनाने की बजाये यह मेरा सौभाग्य होगा की आप इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में जाने"

१९५४ में इस भारत के रत्न को "भारत रत्न" (Bharat Ratna) की उपाधि से नवाजा गया। शायद तुम लोगो में से बहुत कम लोगो को ही पता होगा की वे हमारे भारत के दूसरे राष्ट्रपति भी थे, जिनका कार्यकाल मई १३ - १९६२ से लेकर मई १३ -१९६७ तक रहा। राधाकृष्णन जी ने बाद में अपने सहियोगियों और साथियों के साथ कृष्णा अर्पण चैरिटी सोसाइटी की स्थापना की। उनके प्रेरक विचार आज भी प्रेरणा प्रदान करते हैं। आज हम उन्हें न केवल शिक्षक (Teacher) के रूप में ही, वरन् एक सच्चे कर्तव्य निष्ट राजनेता व एक दार्शनिक के रूप में शत-शत नमन करते है। भारत माँ का यह होनहार शिक्षक १७ अप्रैल १९७५ को इस दुनिया से चला गया। आज भी हम उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मानते है। प्यारे बच्चो, तुम लोग अपने टीचर को ५ सितम्बर को तोहफे में क्या देने वाले हो?

हर टीचर का अरमान है ये
बच्चों को मुस्कान दे वो
आंसू पोछे वो जब-जब
हँस के बोले हम तब-तब
सबसे प्यारी मेरी मैम|
शुभकामनाओं के साथ!

-नीलम मिश्रा


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9 पाठकों का कहना है :

sadanand kadam का कहना है कि -

teacher's day (in india) kis din manaya jata hai yah malum huva kintu ye din kabse yane kis dinse manaya jata hai?

Amit Anupam का कहना है कि -

Sarvepalli Radhakrishnan (Sarvepalli is his family name, and Radhakrishnan his given name) was born into a middle class Telugu Brahmin family at Tiruttani, a town in Tamil Nadu, India, 64 km to the northwest of Madras (now known as Chennai). His mother tongue was Telugu. His early years were spent in Tiruttani, Tiruvallur and Tirupati. His primary education was in Gowdie School, Tiruvallur, and higher school education in P.M.High School, Gajulamandyam, Renigunta. He married Sivakamamma in 1904 at age 16 in Vellore. They had five daughters and a son, Sarvepalli Gopal.[1] He graduated with a Master's degree in Philosophy from the prestigious Madras Christian College,being one of its most distinguished alumni.
In 1921, he was appointed as a philosophy professor to occupy the King George V Chair of Mental and Moral Science at the University of Calcutta. Radhakrishnan represented the University of Calcutta at the Congress of the Universities of the British Empire in June 1926 and the International Congress of Philosophy at Harvard University in September 1926. In 1929, Radhakrishnan was invited to take the post vacated by Principal J. Estlin Carpenter in Manchester College, Oxford. This gave him the opportunity to lecture to the students of the University of Oxford on Comparative Religion. He was knighted in 1931, but did not use the title in personal life. He was the Vice-Chancellor of Andhra University from 1931 to 1936. In 1936, Radhakrishnan was named Spalding Professor of Eastern Religions and Ethics at the University of Oxford, and was elected a Fellow of All Souls College. When India became independent in 1947, Radhakrishnan represented India at UNESCO, and was later India's first ambassador in Moscow. He was also elected to the Constituent Assembly of India.

Amit Anupam का कहना है कि -

The Hindu View of Life - By Sarvepalli Radhakrishnan

Amit Anupam का कहना है कि -

A good teacher is like a candle - it consumes itself to light the way for others.

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

नीलम जी का धन्यवाद जो आपने यह हमसे बांटा |
शिक्षकों को नमन |


-- अवनीश तिवारी

Anonymous का कहना है कि -

Teachers are the eyes that enlight path for the life. Teachers are not for teaching how to memorize things, teachers are for teaching how to dig the depth of the subject, how to understand the design and flow of the subject and the life. Teachers are friends, phylosophers and guides in the true sense of age and maturity.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

आपने बहुत ही अच्छी जानकारी दी डॉ. साहब के बारे में. बहुत ही महँ व्यक्ति थे वे. दर्शन शास्त्र की उनकी लिखी किताबें आज भी विदेशों में पढाई जाती हैं.

Manju Gupta का कहना है कि -

नीलम जी ने ज्ञानवर्धक जानकारी दी ,शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ .

Anonymous का कहना है कि -
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