सब से पहले
आज उठा मै सबसे पहले|
सबसे पहले आज सुनूँगा
हवा सवेरे की चलने पर,
हिल ,पत्तों का करना 'हर-हर'
देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले, लाल सुनहले|
आज उठा मै सबसे पहले|
सबसे पहले आज सुनूँगा,
चिडिया का डैने फड़का कर,
चहक -चहक कर उड़ना 'फर-फर'
देखूँगा, पूरब में फैले बादल पीले, लाल सुनहले|
आज उठा मै सबसे पहले|
सबसे पहले आज चुनूँगा,
पौधे -पौधे की डाली पर
फूल खिले जो सुंदर -सुंदर
देखूँगा ,पूरब में फैले बादल पीले ,लाल,सुनहले
आज उठा मैं सबसे पहले
सबसे कहता आज फिरूँगा
कैसे पहला पत्ता डोला,
कैसे पहला पंछी बोला,
कैसे कलियों ने मुँह खोला ,
कैसे पूरब ने फैलाए बादल पीले, लाल, सुनहले
आज उठा मैं सबसे पहले
स्रोत- नीलिमा बच्चन की चौथी वर्षगाँठ अथवा पाँचवे जन्मदिन पर उनके दादा जी, हरिवंशराय बच्चन जी के आशीष प्यार के साथ भेंट की गई पुस्तक "नीली चिड़िया" से
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पाठक का कहना है :
यह कविता बहुत ही प्यारी है। बाल-मन क्या, बड़े भी पढ़ें तो बच्चे हो जायें। इसे आवाज़ मिलनी चाहिए।
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