स्नेहालय
स्नेहालय (Gwalior) - Home for Children of different abilities के लिए एक गीत प्रस्तुत है -
फूलों की यह प्यारी प्यारी
न्यारी न्यारी फुलवारी ।
आज मिले हम सभी यहां पर
सुगंध है इनकी मतवारी ।
भाव भंगिमा से मन मोहें
पल में रोना, पल में हंसना ।
मधुर, मनोहर, मीठी बातें
तुतला कर दिल सबका हरना ।
कभी मट्कना, कभी झगड़ना
बात बात में जिद पर अड़ना ।
भोली भाली सूरत सीरत
विद्वेष भाव न मन में रखना ।
प्यार करें हम इनके जैसा
स्वर्ग बने तब वसुधा अपनी ।
प्रभु की छवि बसती है इनमें
ऐसी ही हो दुनिया अपनी ।
पावन, निर्मल, उज्ज्वल मन हैं
सब लोकों से दुनिया न्यारी ।
हंसते और हंसाते सबको
सुगंध है इनकी मतवारी ।
कवि कुलवंत सिंह
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6 पाठकों का कहना है :
अगर दुनिया ऐसी हो जाये तो
शायद लोग ज़िन्दगी जीना सीख जाये
वाह, बहुत ही सुन्दर रचना है..
सच में अगर अबका दिल बच्चो जैसा निस्वार्थ और निर्मल हो जाये
तो ये धरती स्वर्ग बन जाये..
sunder rachna hai..ise padh kar bachpan ke din yaad aa gaye
bahut sundar rachna hai. badhai.
aapne bilkul sahi baat kaha ki bachhe bhagwan ka roop hote hai...agar ham sabhi ek bachhe ki tarah jindagi jiye to fir koi samasya hi nahi rahegi......excellent sir
Aap sabhi mitron kaa haardik dhanyavaad
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