बच्चे
बच्चे अच्छे
बच्चे सच्चे
बच्चे मनके
प्यार सबसे करते ।
कपट न जानें
बैर न जानें
द्वेष न जानें
हठ भले ही करते ।
सत्य धर्म है
सत्य कर्म है
सत्य मर्म है
झूठ कभी न कहते ।
निर्मल मन है
पावन मन है
उज्ज्वल मन है
अहं कभी न रखते ।
दूर बुराई
सब चतुराई
सब हैं भाई
दोस्त सब को कहते ।
भोली सूरत
भोली सीरत
नटकट आदत
तंग सबको करते ।
कवि कुलवंत सिंह

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
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बच्चो,
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3 पाठकों का कहना है :
कुलवंत जी बिलकुल सही
बच्चे अच्छे
बच्चे सच्चे
बच्चे मनके
प्यार सबसे करते ।
कुलवंत जी बिलकुल सही
बच्चे अच्छे
बच्चे सच्चे
बच्चे मनके
प्यार सबसे करते ।
बच्चे..
क्या कहें..
मन ही नहीं भरता..
निहारते निहारते..
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